काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) के वैज्ञानिकों ने धान की उत्पादकता बढ़ाने वाले बैक्टीरिया का जेनेटिक इंजीनियरिंग द्वारा विकास किया है। कहा जा रहा है कि बीएचयू की यह रिसर्च धान की उत्पादकता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है। यह रिसर्च जर्नल एप्लाइड माइक्रोबायोलॉजी एंड बायोटेक्नोलॉजी (स्प्रिंगर नेचर) में प्रकाशित हुई है। दरअसल, पौधों की ग्रोथ को बढ़ावा देने वाले बहुत से बैक्टीरिया पौधों की जड़ों के सम्पर्क क्षेत्र में पाये जाते हैं।
लाभकारी बैक्टीरिया क्या करते हैं
यह ऑक्सिन जैसे हार्मोन का रिसाव करके पौधों की जड़ प्रणाली को विकसित करने में मदद करते हैं जो कि फसलों की उत्पादकता में बढ़ोतरी करने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। हालांकि, ये बैक्टीरिया जड़ों के सम्पर्क क्षेत्र में अपनी वृद्धि तभी कर सकते हैं, जब वह पौधों की जड़ो द्वारा रिस रहे कार्बन यौगिको का उपयोग करने में सक्षम हों।
इसी तरह के लाभकारी बैक्टीरिया की श्रेणी में 'एजोस्पिरिलम ब्रासिलेंस एसपी 7' भी होता है। 'एजोस्पिरिलम ब्रासिलेंस एसपी7' कई महत्वपूर्ण फसलों की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाने वाला सबसे लोकप्रिय जैव उर्वरक है। लेकिन यह बैक्टीरिया धान की जड़ों के द्वारा रिस रहे ग्लूकोज का कुशलता से उपयोग कर पाने में असमर्थ होता है। इस कारण धान की जड़ों के सम्पर्क क्षेत्र में यह अपनी वृद्धि करने में सफल नहीं हो पाता।
धान के लिए महत्वपूर्ण है ये शोध
एजोस्पिरिलम ब्रासिलेंस की धान की उत्पादकता बढ़ाने के लिए प्रो. अनिल कुमार त्रिपाठी, जैव प्रौद्योगिकी स्कूल, विज्ञान संस्थान के पर्यवेक्षण में डॉ. विजय शंकर सिंह, CSIR सीनियर रिसर्च एसोसिएट और सुशांत राय सीनियर रिसर्च फेलो ने एजोस्पिरिलम ब्रासिलेंस की जेनेटिक इंजीनियरिंग के द्वारा ग्लूकोज का इस्तेमाल करने वाले जीन्स की अभिव्यक्ति करने में सफल रहे। इसके कारण एजोस्पिरिलम ब्रासिलेंस ना केवल ग्लूकोज का उपयोग अपनी वृद्धि के लिए करने लगता है, बल्कि धान की जड़ों में तेजी से अपनी संख्या बढ़ाता है।
इस प्रकार यह इंजीनियर्ड स्ट्रेन धान के पौधों के बायोमास में लगभग 30-40 प्रतिशत वृद्धि कर सकता है। इस शोध के धान की उत्पादकता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण होने की संभावना है। यह शोध भारतीय कृषि अनुशंधान परिषद द्वारा प्रो. त्रिपाठी के निर्देशन में वित्त पोषित परियोजना का अंश हैय। हाल ही मे प्रतिष्ठित जर्नल एप्लाइड माइक्रोबायोलॉजी एंड बायोटेक्नोलॉजी (स्प्रिंगर नेचर) में 5 नवंबर, 2022 को प्रकाशित हुआ था।
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