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सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेज के फैसले पर लगाई अंतरिम रोक, परिसर में हिजाब, नकाब, बुर्का, स्टॉल और कैप पहनने पर थी रोक

सुप्रीम कोर्ट ने आज कॉलेज के परिसर में हिजाब, नकाब, बुर्का, स्टॉल और कैप पहनने के बैन फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने...- India TV Hindi Image Source : PTI सुप्रीम कोर्ट ने चेंबूर कॉलेज के फैसले पर लगाई अंतरिम रोक

सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के प्राइवेट चेंबूर कॉलेज में हिजाब,नकाब,बुर्का,स्टॉल और कैप पहनने के मामले में कॉलेज के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी है। साथ ही इस मामले पर अगली सुनवाई की तारीख भी दे दी। याचिका में बीते दिन कॉलेज के हिजाब, बुर्का पर बैन बरकरार रखने के बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता ने चीफ जस्टिस से याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की थी, इस कारण आज इस पर सुनवाई की गई।

कॉलेज ने लगाई थी रोक

मुंबई के प्राइवेट कॉलेज ने हिजाब, नकाब, बुर्का, स्टॉल और कैप पहनने पर रोक लगाई थी। मुंबई के एनजी आचार्य और डीके मराठे कॉलेज ने परिसर में हिजाब, नकाब, बुर्का, स्टॉल और टोपी पहनने पर बैन लगाया हुआ है। इसी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई की गई। मामले की सुनवाई जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने की।

कोर्ट ने उठाए सर्कुलर पर सवाल

SC ने सर्कुलर पर सवाल उठाते हुए कहा कि आप लड़कियों के पहनने पर पाबंदी लगाकर उनका कैसा सशक्तिकरण कर रहे है। लड़कियों क्या पहनना चाहती है, ये उन पर छोड़ देना चाहिए। ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि आजादी के इतने सालों बाद इस तरह के बैन की बात कहीं जा रही है। 

इसके बाद SC ने सर्कुलर के एक हिस्से पर रोक लगाई, जिसके मुताबिक छात्राओं के हिजाब, बुर्का स्टॉल और कैप आदि पहनकर आने पर रोक लगाई थी। कोर्ट ने कुछ छात्राओं की ओर से दायर याचिका पर नोटिस जारी किया। कोर्ट ने कहा कि हमारे इस आदेश का दुरुपयोग न हो। इसके बाद बेंच ने कहा कि 18 नवंबर से शुरू होने वाले सप्ताह में इस मामले की सुनवाई की जाएगी।

कॉलेज प्रशासन ने कही ये बात

इसके मामले में कॉलेज प्रशासन की ओर से कहा कि कॉलेज में 441 मुस्लिम लड़कियां पढ़ती है सिर्फ 3 लड़कियों को ही समस्या क्यों हुई। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने लड़कियों को पहले मीडिया में बयान देने पर नाराजगी भी जताई। बता दें कि इससे पहले इस रोक के खिलाफ 9 लड़कियों ने बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया था, लेकिन हाईकोर्ट ने इनकी अर्जी को खारिज कर दिया था। मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने माना था कि कॉलेज द्वारा जारी किया गया ड्रेस कोड व्यापक शैक्षणिक हित में है और इसमें कोई कमी नहीं है, जिससे संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) और अनुच्छेद 25 के प्रावधानों का उल्लंघन हो।

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