नई दिल्ली। शिक्षा मंत्रालय के 'उन्नत भारत योजना' के तहत देशभर के 750 उच्च शिक्षण संस्थानों के छात्र गांवों को गोद लेंगे। इसमें कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के भी छात्र शामिल होंगे। इस योजना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गांवों को विकसित करने के विजन के तौर पर देखा जा रहा है। 'उन्नत भारत योजना' सरकार की देश के नागरिकों में कौशल विकसित करने की अनोखी पहल है। इस योजना के तहत देश के शैक्षिक संस्थान स्थानीय ग्रामीण समुदायों को कौशल विकसित करने का मौका प्रदान करेंगे। 'उन्नत भारत योजना' के तहत कम से कम गांवों को एक समूह बनाकर उसे शैक्षणिक संस्थानो से जोड़ा जाएगा और उन गांवों को आंतरिक और सामाजित तौर पर विकसित किया जाएगा।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक की अध्यक्षता में 'उन्नत भारत योजना' की प्रगति की समीक्षा को लेकर एक बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे, राष्ट्रीय संचालन समिति-यूबीए के अध्यक्ष डॉ. विजय भटकर उपस्थित रहे।डॉ. विजय ने 'उन्नत भारत योजना' को लेकर एक विस्तृत प्रस्तुति दी और अब तक हुई प्रगति से अवगत कराया।
उन्होंने कहा, "देशभर के 1,400 से ज्यादा गांवों के 2,600 से अधिक प्रतिभागी संस्थानों के नेटवर्क इसके अंतर्गत आते हैं। करीब 4,650 ग्राम स्तरीय सर्वेक्षण डेटा, 4,75,702 घरेलू स्तर का सर्वेक्षण डेटा उन्नत भारत अभियान के वेब पोर्टल पर उपलब्ध है।"शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने आईआईटी दिल्ली द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की।
उन्होंने कहा, "इस योजना के तहत, देश में उच्च शिक्षा संस्थान गांवों से जुड़ रहे हैं। जिससे छात्रों और शिक्षकों को व्यावहारिक और पारंपरिक ज्ञान हासिल करने में मदद मिलेगी। 'उन्नत भारत योजना' का उद्देश्य मौजूदा नवाचार और प्रौद्योगिकियों की पहचान करना और उसके अनुकूलन लोगों को सक्षम बनान प्रमुख लक्ष्य है जिसके जरिए वे प्रगति की ओर अग्रसर होंगे।"शिक्षा मंत्री ने ग्रामीण इलाकों में तीन से पांच मुख्य गतिविधियों की पहचान करने के निर्देश दिए है और कहा कि सभी गांवों को भाग लेना अनिवार्य होगा।
उन्होंने कहा, "स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर आगे की सारी गतिविधियों का संचालन किया जाएगा। 'उन्नत भारत योजना' के जरिए 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020' को स्कूलों के शिक्षकों को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। इस योजना के तहत अधिक से अधिक संख्या में उच्च शिक्षण संस्थानों की सहभागिता होनी चाहिए, जिससे अधिक से अधिक गांवों को लाभ मिलेगा।"
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