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Hindi News एजुकेशन वाह पढ़ाई तो तो ऐसी! इस राज्य के सरकारी स्कूलों के छात्रों को सिखाए जा रहे कोडिंग व रोबोटिक्स

वाह पढ़ाई तो तो ऐसी! इस राज्य के सरकारी स्कूलों के छात्रों को सिखाए जा रहे कोडिंग व रोबोटिक्स

अब सरकारी स्कूलों के बच्चों को भी गोवा में कोडिंग व रोबोटिक्स जैसे गुर सिखाए जा रहे हैं। इसकी जानकारी खुद मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने दी है।

Goa- India TV Hindi Image Source : PTI सरकारी स्कूलों के छात्रों को सिखाए जा रहे कोडिंग व रोबोटिक्स

आपने अपने राज्य या पड़ोसी राज्य के सरकारी स्कूलों की पढ़ाई देखी होगी और कहा होगा कि क्या ही पढ़ाया जा रहा है, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे राज्य के सरकारी स्कूलों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं, जहां सरकारी और सहायता-प्राप्त स्कूलों में बच्चों को कोडिंग व रोबोटिक्स सिखाए जा रहे हैं। इस बात की जानकारी खुद राज्य के मुख्यमंत्री ने दी है।

65,000 छात्रों को सिखाया जा रहा

अब आप सोच रहे होंगे कि हम किस राज्य की बात कर रहे हैं, परेशान न हो बता दें कि इस राज्य का नाम है गोवा। गोवा के ही सरकारी और सहायता-प्राप्त स्कूल छात्रों को परंपरागत विषयों के साथ कोडिंग और रोबोटिक्स की भी शिक्षा दे रहे हैं। गोवा के इन स्कूलों में लगभग 65,000 छात्र सरकार के महत्वाकांक्षी स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत कम उम्र में ही कोडिंग और रोबोटिक्स के गुर सीख रहे हैं। इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्कूली छात्रों को भविष्य के लिए तैयार करना है।

विधानसभा में मुख्यमंत्री ने दी जानकारी

गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने हाल ही में विधानसभा को जानकारी दी थी कि राज्य सरकार स्कूली छात्रों को नए स्किल से लैस करने के लिए ‘स्कूलों में कोडिंग और रोबोटिक्स शिक्षा’ (केयर्स) योजना लागू कर रही है ताकि वे इंडस्ट्री के लिए तैयार हों। सावंत ने कहा था कि इस योजना को सरकारी और सहायता-प्राप्त स्कूलों में सफलतापूर्वक लागू किया गया है और अब छात्र नेशनल एवं इंटरनेशनल लेवल पर प्रशंसा पा रहे हैं।

कोविड-19 महामारी के दौरान दी गई ट्रेनिंग

मुख्यमंत्री ने कहा था कि कोविड-19 महामारी के दौरान गोवा के सभी स्कूलों के कंप्यूटर शिक्षकों को ‘मास्टर ट्रेनर’ बनने के लिए ट्रेनिंग दिया गया था। इस योजना के तहत स्कूलों को कोडिंग एवं रोबोटिक्स उपकरण मुफ्त में दिए जा रहे हैं। गोवा सरकार की केयर्स प्रोजेक्ट के डायरेक्टर डॉ. विजय बोर्गेस ने कहा कि यह योजना पिछले 4 सालों से सभी मिडिल स्कूलों में 65,000 छात्रों को लक्षित करके लागू की जा रही है। इसके लिए इंजीनियरिंग एक्सपर्ट्स को फेलो नियुक्त किया गया है।

(इनपुट- PTI)

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