नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने दिल्ली के प्रसिद्ध 'संस्कृति' स्कूल की तरफ से की गई फीस बढ़ोतरी रद्द कर दी है। दिल्ली सरकार ने यह कदम अभिभावकों की शिकायत के आधार पर उठाया है। शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के मुताबिक प्राईवेट संस्कृति स्कूल ने बढ़ोतरी करते हुए स्कूल फीस लगभग दोगुनी कर दी थी। संस्कृति स्कूल में पढ़ने वाले कई छात्रों के अभिभावकों ने गुरुवार को शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने मुलाकात की।
इस दौरान अभिभावकों ने स्कूल की फीस वृद्धि का मुद्दा उठाया। साथ ही दिल्ली सरकार के समक्ष फीस वृद्धि से जुड़े सभी दस्तावेज भी पेश किए। अभिभावक इससे पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से भी इसी विषय पर मुलाकात कर चुके हैं।उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, "संस्कृति स्कूल द्वारा फीस बढ़ाए जाने का विषय मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के समक्ष रखा गया। जिसके बाद संस्कृति स्कूल को फीस बढ़ाने की दी गई अनुमति वापस ले ली गई है।"
सिसोदिया ने कहा, "स्कूल ने अपने खातों को सही तरीके से मेंटेन और ऑडिट नहीं करवाया। इससे पहले भी दिल्ली सरकार वर्ष 2017-18 में इस स्कूल द्वारा फीस बढ़ाए जाने के प्रस्ताव को खारिज कर चुकी है।"दरअसल कई विद्यालयों ने शिक्षकों को सातवें वेतन आयोग के अनुरूप वेतन देने के लिए दिल्ली सरकार के समक्ष फीस बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है। दिल्ली सरकार के मुताबिक स्कूलों को अध्यापकों को सातवें वेतन आयोग के अनुरूप वेतन देना चाहिए। यह वेतन स्कूल की सरप्लस धनराशि से दिया जाना चाहिए। वेतन का भार छात्रों की फीस पर नहीं पड़ना चाहिए।
मनीष सिसोदिया ने कहा, "फिलहाल महामारी के इस दौर में दिल्ली के किसी भी स्कूल को फीस वृद्धि की अनुमति नहीं है। कुछ विद्यालयों को खातों की जांच के उपरांत फीस वृद्धि की अनुमति दी गई थी, लेकिन ऐसा कोरोना संकटकाल से पहले किया गया था। मौजूदा परिस्थिति में सभी स्कूलों को स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि वह फीस बढ़ोतरी न करें।"
दिल्ली सरकार ने खातों की जांच किए जाने के बाद पिछले वर्ष दिसंबर और इस वर्ष मार्च के शुरूआत में कुछ स्कूलों को फीस वृद्धि की अनुमति दी थी। इनमें संस्कृति स्कूल भी शामिल है। हालांकि कोरोना महामारी फैलने के उपरांत इसे स्थगित कर दिया गया है। इस दौरान अब बिना अनुमति दिल्ली का कोई भी स्कूल फीस वृद्धि के आदेश नहीं दे सकता।
दिल्ली सरकार के मुताबिक दिल्ली के सभी निजी स्कूलों को डेवलपमेंट चार्ज की राशि डीएफआर नामक एक अलग खाते में जमा करवानी होगी। ऐसा किए जाने पर ही इसे स्कूल फीस के रूप में स्वीकार किया जाएगा। हालांकि कुछ स्कूल ऐसा नहीं कर रहे हैं।
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