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RSS ने CUET-UG की Answer key को लेकर उठाए सवाल, की एग्जाम के तरीकों में सुधार की मांग

CUET-UG की Answer key को लेकर अब RSS की एक संस्था ने सवाल उठाए हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने एग्जाम के तरीकों में भी सुधार की मांग की है।

CUET UG Answer Key 2024- India TV Hindi Image Source : FILE CUET UG Answer Key 2024

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने आज यानी मंगलवार को सीयूईटी-यूजी की प्रोविजनल आंसर-की में कथित विसंगतियों को लेकर चिंता जताई और एजेंसी से निरंतर प्रतिक्रिया के साथ देश में कंपटीटिव एग्जाम सिस्टम में सुधार की मांग की। जानकारी के लिए बता दें कि 7 जुलाई को CUET-UG की Answer key जारी की गई थी, जिसके बाद छात्रों ने आंसर-की में कई गलत उत्तर की शिकायत की थी।

एडमिशन के लिए सिंगल विंडो बनाने पर भी चिंता

दीना नाथ बत्रा की अध्यक्षता वाले संगठन की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब एक दिन पहले ही कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट फॉर अंडरग्रेजुएट एडमिशन (CUET-UG) में शामिल होने वाले कई छात्रों ने आरोप लगाया था कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) द्वारा जारी की गई आंसर-की में कई उत्तर गलत थे। संगठन ने CUET-UG को भारत के सभी विश्वविद्यालयों में अंडरग्रेजुएट एडमिशन के लिए सिंगल विंडो बनाने पर भी चिंता जताई। मंगलवार को जारी एक बयान में, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के प्रतियोगी परीक्षा राष्ट्रीय संयोजक देवेंद्र सिंह ने कहा कि सीयूईटी-यूजी की आंसर-की में हालिया विसंगतियां “गंभीर कंटेंट” का मामला है और यह कंपटीटिव एग्जाम की संरचनात्मक खामियों को उजागर करती है।

विचार करने की जरूरत

उन्होंने कहा, "सबसे पहले इस बात पर विचार करना आवश्यक है कि क्या केंद्रीय विश्वविद्यालयों को छोड़कर देश के सभी राज्य और प्राइवेट यूनिवर्सिटीज को CUET-UG और PG परीक्षा में शामिल करने की आवश्यकता है या नहीं। राज्यों की अपनी-अपनी परिस्थितियाँ होती हैं, वहाँ के छात्रों की अलग-अलग अपेक्षाएँ होती हैं और कोर्स, विभिन्न सिलेबस की उपलब्धता भी अलग-अलग होती है। इसके अलावा, राज्य विश्वविद्यालयों और निजी विश्वविद्यालयों में संसाधन भी अलग-अलग हैं। इसलिए, देश की विविधता, इसकी विशाल जनसंख्या, अंतर-विश्वविद्यालय भिन्नता आदि को ध्यान में रखते हुए, देश की संपूर्ण विश्वविद्यालय प्रणाली के लिए एक ही परीक्षा का विकल्प चुनना समझदारी नहीं होगी।"

सीयूईटी-यूजी प्रोविजनल आंसर-की में विसंगतियों के मामले पर सिंह ने कहा कि परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था या एजेंसी को गंभीरता से आत्मचिंतन करना चाहिए कि संसाधन होने के बावजूद वे 100-50 प्रश्नों के सही उत्तर क्यों नहीं दे पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि त्रुटिपूर्ण आंसर-की की समस्या संघ लोक सेवा आयोग से लेकर राज्यों के कर्मचारी चयन आयोग तक में व्याप्त है।

'प्रश्नपत्र बनाने के लिए कौन योग्य है और कौन नहीं'

उन्होंने सुझाव दिया कि विद्वान और प्रतिष्ठित शिक्षाविदों और प्रोफेसरों को एंट्रेंस एग्जाम प्रक्रिया में शामिल किया जाना चाहिए और उनके लिए प्रश्नपत्र तैयार करने और परीक्षा प्रक्रिया में भाग लेना अनिवार्य किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "प्रश्नपत्र तैयार करने के लिए कौन योग्य है और कौन नहीं, इसके मानकों में बहुत अंतर है। परीक्षा आयोजित करने वाली एजेंसी को भी पुराने मानकों की समीक्षा करनी चाहिए। योग्य प्रोफेसरों, अन्य विशेषज्ञों और सेवानिवृत्त विद्वानों को भी वस्तुनिष्ठ प्रश्न बैंक बनाने में योगदान देने के लिए पर्याप्त अवसर दिए जाने चाहिए।"

सुधार की मांग की

संगठन ने एग्जाम सिस्टम, प्रश्नपत्रों के मानक, परीक्षा संचालन में खामियों, छात्रों की समस्याओं आदि में सुधार की मांग की और कहा कि शिक्षकों, अभिभावकों और छात्रों से निरंतर फीडबैक की एक प्रणाली लागू की जानी चाहिए। सिंह ने बयान में कहा, "एग्जाम सिस्टम की गहन समझ रखने वाले देश के प्रतिष्ठित विद्वानों द्वारा समय-समय पर समीक्षा की जानी चाहिए, ताकि ये प्रणालियां स्वाभाविक रूप से विकसित हो सकें और रातोंरात कोई क्रांतिकारी बदलाव होने के बजाय अनुकरणीय बन सकें।"

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