गुजरात बोर्ड में ऑटो रिक्शा वाले के बेटे ने लहराया परचम, 99.48 फीसदी नंबर हासिल कर बना टॉपर
गुजरात बोर्ड ने आज कक्षा 12वीं के रिजल्ट जारी कर दिए हैं। इसी परिणाम के आने पर एक ऑटो रिक्शा वाले के घर में खुशी का माहौल बना हुआ है।
गुजरात बोर्ड कक्षा 12 साइंस और सामान्य स्ट्रीम का रिज्लट घोषित कर दिया गया है। वहीं, नडियाद में दो पीढियों से रिक्शा चलाकर अपना गुजरा चला रहे नितिनभाई के बेटे ने कक्षा 12वीं में अपना परचम लहरा दिया है। छात्र ने कक्षा 12वीं में साइंस स्ट्रीम से 99.48 परसेंटाइल लाकर अपने जिले का मान बढ़ाया है। इसके अलावा, छात्र ने गुजकैट में भी 99.90% परसेंटाइल रैंक हासिल की है।
ध्रुव ने साइंस स्ट्रीम से किया टॉप
नडियाद के वाणीयावाड इलाके में फतेपुरा रोड पर श्री कृष्णा सोसाइटी में रहने वाले नितिनभाई रावल अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए नडियाद शहर में स्वतंत्र रूप से रिक्शा चलाते हैं जबकि उनकी पत्नी ज्योतिबेन एक गृहिणी हैं। उनके 3 बच्चे हैं। इनमें सबसे बड़ी बेटी जागृति, बेटा रौनक और सबसे छोटा बेटा ध्रुव है। छोटे बेटे ध्रुव ने साइंस स्ट्रीम में आज घोषित बोर्ड रिजल्ट में 99.48 प्रतिशत के साथ A1 ग्रेड हासिल किया और गुजकैट में भी 99.90 प्रतिशत रैंक हासिल की तो इससे रावल परिवार में खुशी की लहर छा गई है। रिजल्ट के बाद सुबह से ही ध्रुव के दोस्त और रिश्तेदार उनकी सफलता पर बधाई देने के लिए उनके घर पहुंचे।
पिता चलाते है रिक्शा
ध्रुव की सफलता पर उनके पिता नितिनभाई ने कहा कि हम खुश हैं। हमारे बच्चों ने भी हमारा बहुत साथ दिया है उन्होंने हमारा नाम रोशन किया है। पढ़ाई के लिए ध्रुव ने ट्यूशन भी नहीं लगवाया, खुद ही महनत की। मैं अपने परिवार के लिए पिछले 25 से भी ज्यादा सालों से रिक्शा चला रहा हूं। मैंने 6 महीने पहले ही नया रिक्शा लोन पर लिया था। अपने बेटे की सफलता पर उन्होंने कहा कि तीनों बच्चे पढ़ाई में बहुत होशियार हैं और सबसे छोटा बेटा ध्रुव बचपन से ही पढाई में हमेशा प्रथम आता रहा है। बस अपनी कुल देवी से उसके करियर के लिए प्रार्थना करता हूं कि आगे ओर तरक्की करे।' वहीं, ध्रुव की सफलता पर मां ज्योती के आंखों में खुशी के आंसू हैं। ज्योती ने कहा कि मेरे सभी बच्चे पढ़ाई में होशियार हैं और आज ध्रुव की सफलता पर हमें गर्व है। मेरे सभी बच्चे अपने सपनों को पूरा करेंगे।
बीटेक करना चाहते हैं धुव्र
धुव्र ने कहा, "अगर इस सफलता के लिए प्रेरणा का कोई स्रोत है, तो वह मेरी मां, मेरे पिता हैं, जो घर चलाने के लिए रिक्शा चलाते हैं। मैं बचपन से अपने माता-पिता को संघर्ष करते हुए देख रहा हूं, इसलिए पढ़ाई के प्रति मेरा मन पहले से ही बना हुआ था। इससे पहले भी मुझे एसएससी बोर्ड में 99.88 परसेंटाइल मिले थे। यह उपलब्धि मेरे अकेले की नहीं है। मुझे अपने स्कूल के शिक्षकों से निरंतर मार्गदर्शन मिलता रहा है। मैंने ट्यूशन नहीं की थी। मैं सिर्फ स्कूल के शिक्षकों के मार्गदर्शन से आगे बढ़ा हूं। मैं आगे बीटेक करना चाहता हूं।
(रिपोर्ट- नचिकेत मेहता)
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