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Hindi News एजुकेशन Republic Day 2023: काफी गौरवशाली रहा है तिरंगे का इतिहास, जानिए 1906 से कितनी बार बदला है राष्ट्र ध्वज

Republic Day 2023: काफी गौरवशाली रहा है तिरंगे का इतिहास, जानिए 1906 से कितनी बार बदला है राष्ट्र ध्वज

इस झंडे की शान के लिए लाखों शहीदों ने अपने प्राण न्योछावर किए हैं। लेकिन क्या आप इसके इतिहास के बारे में जानते हैं? नहीं तो आइए जानते हैं राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास।

Indian Flag- India TV Hindi Image Source : INDIA TV तिरंगा झंडा

हमारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का इतिहास काफी गौरवपूर्ण रहा है। न जानें कि कितने ही वीरों ने इस झंडे कि लिए अपने जान की आहुति दे डाली। 26 जनवरी 2023 को भारत अपना 74वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू लाल किले पर झंड़ा फहराएंगी। ऐसे में हम आपको तिरेगें की अस्तित्व में आने की कहानी बताने जा रहे हैं। 1906 से अब तक 6 बार राष्ट्रीय ध्वज का स्वरूप बदल चुका है।

1906 में भारत का अनौपचारिक झंडाImage Source : INDIA TVभारत का ये अनौपचारिक झंडा 1906 में इस्तेमाल किया गया था।

भारत का पहला राष्ट्रीय ध्वज 7 अगस्त, 1906 को कलकत्ता (अब कोलकाता) के पारसी बागान स्क्वायर (ग्रीन पार्क) में फहराया गया था।

बर्लिन समिति का झंडाImage Source : INDIA TVबर्लिन समिति का झंडा

दूसरा झंडा 1907 में पेरिस में भीकाजी कामा और निर्वासित क्रांतिकारियों के उनके बैंड द्वारा फहराया गया था। झंडे को बर्लिन में एक समाजवादी सम्मेलन में भी प्रदर्शित किया गया था।

1917 में होम रूल आंदोलन के दौरान इस्तेमाल किया गया झंडाImage Source : INDIA TVये झंडा 1917 में होम रूल आंदोलन के दौरान इस्तेमाल किया गया।

तीसरा संशोधित झंडा 1917 में होम रूल आंदोलन के दौरान डॉ एनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक द्वारा फहराया गया था। इस ध्वज में पांच लाल और चार हरी क्षैतिज पट्टियां वैकल्पिक रूप से व्यवस्थित थीं, जिन पर सप्तऋषि विन्यास में सात सितारे सुपर-लगाए गए थे।

झंडा अनौपचारिक रूप से 1921 में अपनायाImage Source : INDIA TVये झंडा अनौपचारिक रूप से 1921 में अपनाया गया।

1921 में बेजवाड़ा (अब विजयवाड़ा) में हुई अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सत्र के दौरान, आंध्र के एक युवक ने संशोधित झंडा गांधीजी को भेंट किया। यह दो रंगों से बना था- लाल और हरा- दो प्रमुख समुदायों यानी हिंदू और मुस्लिम का प्रतिनिधित्व करता है। गांधीजी ने भारत के शेष समुदायों का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक सफेद पट्टी और राष्ट्र की प्रगति का प्रतीक चरखा जोड़ने का सुझाव दिया।

1931 में अपनाया गया ध्वजImage Source : INDIA TVये झंडा 1931 में अपनाया गया।

1931 में एक तिरंगे झंडे को हमारे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाने का प्रस्ताव पारित किया गया था। यह ध्वज भारतीय राष्ट्रीय सेना का युद्ध चिन्ह भी था। यह ध्वज, वर्तमान ध्वज का अग्रभाग, केसरिया, सफेद और हरे रंग का था जिसके केंद्र में महात्मा गांधी का चरखा था। हालाँकि, यह स्पष्ट रूप से कहा गया था कि इसका कोई सांप्रदायिक महत्व नहीं था और इसकी व्याख्या इस प्रकार की जानी थी।

भारत का वर्तमान तिरंगा झंडाImage Source : INDIA TVतिरंगा झंडा

 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने इसे स्वतंत्र भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया था। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी रंग और उनका महत्व वही बना रहा। ध्वज पर प्रतीक के रूप में चरखा के स्थान पर सम्राट अशोक के धर्म चरखे को ही अपनाया गया था। भारत का राष्ट्रीय ध्वज समान अनुपात में सबसे ऊपर गहरा केसरिया (केसरी), बीच में सफेद और नीचे गहरे हरे रंग है। झंडे की चौड़ाई और लंबाई 2:3 होता है। सफेद पट्टी के केंद्र में गहरे नीले रंग का पहिया है जो चक्र का प्रतिनिधित्व करता है। इसका डिजाइन उस चक्र का है जो अशोक के सारनाथ सिंह शीर्ष के गणक पर दिखाई देता है। इसका व्यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर होता है और इसमें 24 तीलियाँ होती हैं। 

ध्वज को बनने में लगे थे 5 साल

वर्तमान तिरंगे की डिजाइन आंध्र प्रदेश के पिंगली वैकेंया ने बनाई थी। सेना में काम कर चुके पिंगली वेंकैया (Pingali Venkayya) को महात्मा गांधी ये जिम्मेदारी सौंपी थी। ब्रिटिश इंडियन आर्मी (British Indian Army) में नौकरी कर रहे पिंगली वेंकैया की गांधी जी से मुलाकात दक्षिण अफ्रीका में हुई थी। इस दौरान वेंकैया ने अपने अलग राष्ट्रध्वज होने की बात कही जो गांधीजी को बेहद पसंद आई थी।

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