34 साल बाद आई नई शिक्षा नीति को 'निशंक' ने कैसे अंजाम तक पहुंचाया? जानिए
पूर्व शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियल 'निशंक' अब मोदी कैबिनेट का हिस्सा नहीं हैं। वह केंद्रीय मंत्रिमंडल से स्वास्थ्य कारणों के चलते इस्तीफा दे चुके हैं।
नई दिल्ली: पूर्व शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियल 'निशंक' अब मोदी कैबिनेट का हिस्सा नहीं हैं। वह केंद्रीय मंत्रिमंडल से स्वास्थ्य कारणों के चलते इस्तीफा दे चुके हैं। लेकिन, शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान का लोहा खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी माना है। डॉ रमेश पोखरियल 'निशंक' द्वारा लाई गई नई शिक्षा नीति के बारे में पीएम मोदी ने कहा था कि यह 21वीं सदी के नए भारत की बुनियाद बनेगी।
पीएम मोदी ने कहा था, 'नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 21वीं सदी के नए भारत की बुनियाद तैयार करने वाली है। 21वीं सदी के युवाओं को जिस तरह के एजूकेशन की जरूरत है, राष्ट्रीय नीति में सभी बातों पर विशेष फोकस है।' लेकिन, अब जब डॉ रमेश पोखरियल 'निशंक' ने मोदी मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है, तो देश को नई शिक्षा नीति देने के तौर पर वह याद किए जाएंगे।
कैसे तैयार की गई नई शिक्षा नीति?
2020 में लाई गई नई शिक्षा नीति के बारे में बताते हुए 'निशंक' ने 7 अगस्त को कहा था, "नई शिक्षा नीति के लिए परामर्श प्रक्रिया जनवरी 2015 में शुरू की गई थी। 33 चिन्हित किए गए विषयों पर बहुआयामी परामर्श प्रक्रिया में ग्राम स्तर से राज्य स्तर तक जमीनी स्तर पर परामर्श हासिल किए गए।"
उन्होंने कहा था, "लगभग 2.5 लाख ग्राम पंचायतों, 6600 ब्लॉक, 6000 शहरी स्थानीय निकायों, 676 जिलों और 36 राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों में एक व्यापक, समयबद्ध, भागीदारी वाली परामर्श प्रक्रिया अपनाई गई।" इस नीति के लिए कई राज्यों के शिक्षा मंत्रियों, राज्यपालों, शिक्षा सचिवों, कुलपतियों के साथ भी संवाद किया गया और उनके सुझाव लिए गए।
गौरतलब है कि इससे पहले शिक्षा नीति को 1986 में तैयार किया गया और 1992 में संशोधित किया गया था। इसके बाद सीधे साल 2020 में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लाई गई। मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि 'आजाद भारत में पहली बार ऐसी शिक्षा नीति बनी है, जो भारत केंद्रित है और भारत को ज्ञान आधारित महाशक्ति बनाने का संकल्प परिलक्षित करती है।'
अधिकारी ने कहा, 'हावर्ड, कैंब्रिज और मिशीगन जैसे विश्व के नामी विश्वविद्यालयों ने इस नीति की सराहना की है। शोध परक व्यवहारिक और नवाचार युक्त होने के कारण विदेशी विशेषज्ञों ने भी नई शिक्षा नीति की प्रशंसा की है।
रमेश पोखरियल 'निशंक' ने क्यों दिया इस्तीफा?
रमेश पोखरियल 'निशंक' (61) हरिद्वार लोकसभा सीट से सांसद हैं। उन्होंने मई 2019 से जुलाई 2021 तक देश के शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया। वह इसी साल अप्रैल में में कोरोनो वायरस से संक्रमित हो गए थे। बाद में वह कोरोना से ठीक तो हो गए लेकिन स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से जूझते रहे। जून में भी पोखरियाल को दिल्ली के एम्स ले जाया गया था। वह कोविड के बाद की जटिलताओं और स्वास्थ्य परेशानी से जूझ रहे थे।
मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि पोखरियाल ने स्वास्थ्य में आ रही परेशानियों के कारण अपने मंत्री पद से इस्तीफा दिया क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि यह उनके पेशेवर काम खासकर नई शिक्षा नीति के समयबद्ध कार्यान्वयन में बाधा बने। सूत्रों ने बताया कि 'अगले साल की शुरुआत में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, गोवा और मणिपुर में होने वाले विधानसभा चुनावों में 'निशंक' को महत्वपूर्ण संगठनात्मक जिम्मेदारी दी जा सकती है।'