नई दिल्ली। छात्र संगठनों ने शिक्षण संस्थानों को अविलंब खोलने की मांग केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के समक्ष रखी है। खासतौर पर उच्च शिक्षण संस्थानों, कॉलेजों और रिसर्च संस्थानों को खोले जाने की मांग केंद्र सरकार से की गई है। इसके साथ ही शोध एवं रिसर्च से जुड़े छात्रों के लिए 1 वर्ष अतिरिक्त देने की मांग भी केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय से की गई है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की राष्ट्रीय महामंत्री तथा राष्ट्रीय मंत्रियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' से मुलाकात की। इस दौरान मिलकर शिक्षा मंत्री के समक्ष अकादमिक जगत की वर्तमान समस्याओं के समाधान की मांग रखी गई।
प्रतिनिधिमंडल ने शिक्षा मंत्री से सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को शीघ्र छात्रों के लिए पारंपरिक (ऑफलाइन) मोड में खोलने की मांग करते हुए उनके सामने कोरोना के कारण शिक्षा जगत में उत्पन्न समस्याओं के समाधान हेतु सुझाव रखे।
अभाविप की राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी ने कहा कि, "हमने केंद्रीय शिक्षा मंत्री से भेंट कर उनसे चर्चा की। हमें आशा है कि सरकार शीघ्र हमारी मांगों पर उचित कदम उठाएगी तथा छात्र अति शीघ्र अपने परिसरों में वापस लौट कर अपनी पढ़ाई पूर्व की भांति कर सकेंगे।"
अभाविप ने कोरोना काल में शोध कार्य में हुई हानि तथा देरी को देखते हुए शोध छात्रों को एक वर्ष का अतिरिक्त समय देने तथा उस अवधि के लिए शोधवृत्ति प्रदान करने के साथ साथ छात्रों को दी जाने वाली सभी प्रकार की छात्रवृत्ति अति शीघ्र प्रदान करने की मांग की।
अभाविप ने महाविद्यालय स्तर पर शिक्षकों को तकनीकी का उपयोग बढ़ाने हेतु प्रशिक्षण दिए जाने की भी बात कही। आपात स्थिति में विद्यालयों, महाविद्यालयों तथा विश्वविद्यालयों में ऑनलाइन कक्षाएं चलाने के लिए पूर्ण व्यवस्था करने को कहा। साथ ही ऑनलाइन पुस्तकालय विकसित कर छात्रों तक संबंधित पठन-पाठन सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित कराए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
कोरोना महामारी के कारण आर्थिक संकट का सामना कर रहे अभिभावक तथा शैक्षणिक संस्थानों का उपयोग न कर पा रहे छात्रों को राहत देने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया। अभाविप ने उन्हें शुल्क में छूट देने की मांग माननीय शिक्षा मंत्री से की। अभाविप प्रतिनिधिमंडल ने राज्य विश्वविद्यालयों की चिंताजनक स्थिति को देखते हुए, उनमें नियमित शिक्षकों की नियुक्ति, उचित व सतत कोष दिए जाने की आवश्यकता बताया। यूजीसी व रूसा के धन आवंटन की राशि बढ़ाने तथा उसके उचित व समावेशी वर्गीकरण की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
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