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Hindi News एजुकेशन अब शराब के साथ मिलेगा विज्ञान का 'जाम', इस शहर में हुई ये शानदार व्यवस्था

अब शराब के साथ मिलेगा विज्ञान का 'जाम', इस शहर में हुई ये शानदार व्यवस्था

अब शराब के साथ साइंस से जुड़ी नॉलेज का मजा भी आप ले सकतें हैं। IITM के साइंटिस्ट ने की ऐसी शानदार पहल की है।

Science- India TV Hindi Image Source : FB शराब के साथ लोग कर रहे विज्ञान के कई विषयों पर चर्चा

अक्सर आपने देखा होगा कि शराब पीकर लोग भयंकर बखेड़ा खड़ा कर देते हैं। समाज में शिक्षा और शराब को एक-दूसरे विरोधी माना जाता है। लोग कहते हैं कि शराब पीने वाले लोग अच्छे नहीं होते और अच्छे लोग शराब नहीं पीते। लेकिन अगर हम आपसे कहें कि आप शराब की चुस्की भी लें और ज्ञान भी। आप कहेंगे कि क्या बकवास कर रहें हैं, लेकिन ये सच है पुणे में एक साइंटिस्ट ने ऐसी व्यवस्था की है कि लोग नॉलेज के साथ शराब का भी मजा ले सकते हैं। बता दें कि स्कूलों, कॉलेजों और औपचारिक कार्यक्रमों में विज्ञान के विषयों पर चर्चा आम बात है, लेकिन लोग अब मशीनों, ब्रह्मांड और जलवायु परिवर्तन जैसे विज्ञान के विभिन्न विषयों पर पब, लाउंज और कैफे में ही नहीं बल्कि शराब की चुस्की के साथ भी सामान्य बातचीत करने लगे हैं।

विज्ञान ‘प्लस’ शराब की चुस्की ‘माइनस’ गपशप और खूब सारा मजा

लोगों का फार्मूला है : ‘‘विज्ञान ‘प्लस’ शराब की चुस्की ‘माइनस’ गपशप और गंभीरता यानी खूब सारा मजा’’। जी हां, आपने बिल्कुल ठीक सुना, भारतीय उष्ण देशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) के जलवायु विज्ञानी अनूप महाजन की अगुवाई में पुणे के विज्ञानप्रेमियों का एक समूह अपनी अनूठी ‘साइंस ऑन टैप’ पहल से विज्ञान और आम लोगों के बीच फासला कम करने के मिशन पर है। महाजन ने कहा कि विज्ञान और लोगों के बीच की खाई को कम करने के उद्देश्य से लोगों तक पहुंचने की यह पहल शुरू की गई है। ‘साइंस ऑन टैप’ योजना के पीछे महाजन का ही दिमाग है।

"लोग नहीं जानते कि कौन सी जानकारी सही है और कौन सी गलत"

उन्होंने मीडिया से कहा, ‘‘बहुत सारी गलत सूचनाएं हैं। लोग नहीं जानते कि कौन सी जानकारी सही है और कौन सी गलत है। अधिकांश लोग सोशल मीडिया पर ऐसी जानकारी के संपर्क में हैं जो सही नहीं हैं और विज्ञान सहित सभी विषयों पर गलत सूचनाएं फैल रही हैं।’’ महाजन ने कहा, ‘‘इस तरह के सभी विज्ञान संपर्क कार्यक्रम ऑडिटोरियम, स्कूल और कॉलेजों जैसी औपचारिक जगहों पर होते हैं जहां पहुंच सीमित है।

"हम ऑडिटोरियम में विशेषज्ञों को बुलाते हैं"

यहां तक कि अगर हम ऑडिटोरियम में विशेषज्ञों को आमंत्रित करके वार्ता आयोजित करते हैं और उन्हें सभी के लिए खुला रखते हैं, तो भी संभावना है कि लोग नहीं आएंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए हमने आम जनता तक पहुंचने का फैसला किया और यह पता लगाने की कोशिश की कि युवा लोग अच्छा समय बिताने के लिए कहां जाते हैं। जवाब था रेस्तरां, लाउंज, कैफे या उनका पसंदीदा बार या पब और फिर चर्चा को ऐसी जगहों पर आयोजित करने का निर्णय लिया गया।’’

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