यूपी के बाद अब मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों में वीर सावरकर से जुड़े पाठ पढाए जाएंगे। इसे लेकर शिवराज सरकार ने फैसला लिया है। मध्य प्रदेश के शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने न्यूज एजेंसी एएनआई को इसकी जानकारी दी है। जानकारी देते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा कि दुर्भाग्य से कांग्रेस ने भारत के सच्चे क्रांतिकारियों के बारे में नहीं पढ़ाया। बल्कि विदेशी आक्रांताओं को महान बताया गया है। एएनआई को जानकारी देते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा कि वीर सावरकर उन क्रांतिकारियों में से हैं जिन्हें एक ही जन्म में दो-दो कारावास हुई है। उन्होंने आगे कहा कि वीर सावरकर पहले लेखक थे, जिन्होंने 1857 के आंदोलन को स्वतंत्रता संग्राम कहा, नहीं तो लोग गदर ही कहते थे।
"आजादी में अपूरणीय योगदान"
शिक्षा मंत्री ने आगे कहा कि भारत की आजादी में उनका अपूरणीय योगदान है। और इसलिए उन्हें समाज में सम्मान मिलना चाहिए। लेकिन दुर्भाग्यवश भारत के महान क्रांतिकारियों को इतिहास के पन्नों में जगह नहीं दी गई। विदेशी आक्रांताओं को महान लिखा गया। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 भारत केंद्रित शिक्षा पर काम कर रही है यानी देश के लिए काम करने वाले देश के हीरो बनेंगे। इसके बारे में बच्चों को पढ़ाने का काम करेंगे। इसलिए हम कई महापुरुषों की जीवनियां नए सिलेबस में जोड़ेंगे। मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने आगे कहा, हम सच्चे नायकों की जीवनियां शामिल करेंगे और नए पाठ्यक्रम में वीर सावरकर, भगवद गीता संदेश, भगवान परशुराम, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु और अन्य शामिल होंगे। जल्द ही ये बदलाव नए सिलेबस में शामिल होंगे।
कांग्रेस को भी घेरा
शिक्षा मंत्री ने कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि कांग्रेस के लोग भारत के महान लोगों की गाथा बच्चों तक पहुंचाना नहीं चाहते थे, इसलिए जब कमलनाथ की सरकार थी तो एक स्कूल में वीर सावरकर की किताब बांटने पर प्राचार्य को निलंबित कर दिया था।
"सावरकर को शामिल करना दुर्भाग्यपूर्ण"
वहीं कांग्रेस ने इस मुद्दे पर शिवराज सरकार को घेरा। कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वे सावरकर को शामिल करना चाहते हैं। उन्होंने अंग्रेजों से माफी मांगी और उन्हें पाठ्यक्रम में शामिल करना स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान है।
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