अब डॉक्टर्स को मिलेगी एक नई आईडी, किसी फैमिली की देखभाल करने पर मिलेंगे MBBS छात्र को नंबर
जल्द ही देश के सभी डाक्टर्स को एक नई यूनीक आईडी प्रोवाइड करा दी जाएगी। एनएमसी ने इस बारे में जानकारी दी है। इसके लिए आयोग ने एनएमआर लागू करने का मन बना लिया है।
अगले साल से देश के सभी डॉक्टर्स को नए पहचान के लिए एक यूनीक आईडी दिया जाएगा। नेशनल मेडिकल कमीशन यानी एनएमसी ने वन नेशन वन रजिस्ट्रेशन की तर्ज पर नेशनल मेडिकल रजिस्टर (NMR) को लागू करने का फैसला लिया है। अगले 6 महीने में इसको पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू हो जाएगा। MBBS पास करते ही डॉक्टर का एनएमआर पर रजिस्ट्रेशन हो जाएगा। इस लेकर एनएमसी का कहना है कि इससे अलग- अलग राज्यों में रजिस्ट्रेशन से लेकर किसी भी तरह की गड़बड़ी की संभावना खत्म हो जाएगी।
छात्र को मिलेगी यूनीक आईडी
एथिक्स एंड मेडिकल रजिस्ट्रेशन बोर्ड की सदस्य डॉ. विजया लक्ष्मी ने कहा कि एनएमआर पोर्टल पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया आसान रहेगी। इसके अतिरिक्त फैकल्टी की ट्रेनिंग पर खासा ध्यान दिया जा रहा है। जानकारी दे दें कि एमबीबीएस पास करने के बाद ही छात्र को एक यूनीक आईडी मिल जाएगी, जो हमेशा एक जैसी ही रहेगी। रजिस्ट्रेशन के बाद स्टूडेंट जिस राज्य में प्रैक्टिस करना चाहेंगे, वहां पर लाइसेंस के लिए आवेदन किया जा सकेगा।
आसान होगी रजिस्ट्रेशन व लाइसेंस प्रक्रिया
इससे रजिस्ट्रेशन व लाइसेंस पाने की प्रक्रिया काफी सहज हो जाएगी। इसके लागू होते ही छात्र को हर राज्य में रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ेगा। यूनीक आईडी से संबंधित पक्ष किसी भी डॉक्टर के बारे में कोई भी जानकारी हासिल कर सकेगा। जानकारी के लिए बता दें कि अभी देश में करीब 14 लाख डॉक्टर इंडियन मेडिकल रजिस्टर (IMR) में इनरोल हैं। जब NMR का पायलट प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा तो उन सभी 14 लाख डॉक्टर्स का डाटा अपने आप NMR में ट्रांसफर हो जाएगा।
देखभाल करने पर मिलेंगे नंबर
अंडरग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड के सदस्य डॉ. विजेंद्र कुमार ने कहा कि एमबीबीएस कोर्स में फैमिली एडॉप्शन प्रोग्राम 2023-24 में नए छात्रों के बैच के साथ शुरू हो गया है। हर छात्र को पहले साल की पढ़ाई से ही परिवारों की देखभाल करनी होगी। इस तरह से वह उस परिवार का पहला फिजिशियन डॉक्टर बन जाएगा। इससे छात्रों को असेसमेंट प्रोसेस में भी 30 नंबर मिलेंगे। यह करिकुलम में काफी अहम है। अभी एमबीबीएस सिलेबस में सामुदायिक चिकित्सा के विषय में हर मेडिकल कॉलेज से संबद्ध ग्रामीण स्वास्थ्य प्रशिक्षण केंद्रों में ट्रेनिंग शामिल है।
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