नई दिल्ली। मोदी सरकार के तीन सबसे बड़े कार्यों की बात करें तो उसमें नई शिक्षा नीति का नाम भी आता है और लाल किले से इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसके प्रभाव को गिना चुके हैं। इसी बारे में केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि ये शिक्षा नीति बहुत बृहद और विशाल है तथा भारत जैसे विशाल देश के हर हिस्से का विचार और विमर्श इसमें समाहित हैं। निशंक ने आईएएनएस से कहा,इस शिक्षा नीति में देश के गांव के प्रधान से देश के प्रधानमंत्री तक सभी लोगों का प्रतिनिधित्व शामिल है। इसमें करोड़ों लोगों को शामिल किया गया है।
उन्होंने कहा,अब से पहले विश्व में इतना बड़ा कोई विमर्श आज तक देखने को नहीं मिला है। यही व्यापकता इसको इतना प्रभावशाली बनाती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत और 2025 तक भारत को 5 खरब डॉलर की विशाल अर्थव्यवस्था के सपने को पूरा करने का सामथ्र्य इस नई शिक्षा नीति में है।
निशंक के मुताबिक प्रारम्भिक स्तर से ही छात्रों को बहुआयामी बनाने और साक्षरता के साथ हर प्रकार से बच्चों का विकास हो इस पर शिक्षा मंत्रालय जोर देगा और रटकर सीखने के बजाय रचनात्मक तरीके से सीखने पर जोर दिया जाएगा।शिक्षा मंत्री ने कहा, भारत की संस्कृति बहुत बहुआयामी और महान है और देश के नागरिक होने के नाते हमें इसे आगे बढ़ाना है।"
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर स्टूडेंट्स, टीचर्स और पैरेंट्स के मन में कोई भी प्रश्न उठ रहा हो तो उनके सभी सवालों का जवाब देने के लिए पोखरियाल खुद एक सितंबर को अपने ट्वीटर पर लाइव संवाद करेंगे, जिससे की किसी के मन में किसी भी प्रकार का कोई भ्रम न रह जाए।
मंत्री ने बताया कि यह शिक्षा नीति विश्व के सबसे बड़े नवाचार परामर्श के पश्चात आयी है, जिसका मुख्य लक्ष्य भारत को ज्ञान आधारित महाशक्ति बनना है। निशंक ने कहा, " यह नीति पहली बार पूर्णत: भारतीय नीति है जो नवाचार युक्त गुणवत्तापरक प्रोद्योगिकीयुक्त होने के साथ भारतीय मूल्यों पर आधारित है। साथ ही यह नीति युवा भारत को अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करने हेतु कृतसंकल्पित है।"
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