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Hindi News एजुकेशन नौकरी दिल्ली यूनिवर्सिटी में छात्र संघ चुनाव के दौरान हुआ हंगामा, NSUI संयुक्त सचिव और प्रोफेसर के बीच हुई बहस

दिल्ली यूनिवर्सिटी में छात्र संघ चुनाव के दौरान हुआ हंगामा, NSUI संयुक्त सचिव और प्रोफेसर के बीच हुई बहस

आज DUSU चुनाव के लिए मतगणना की जा रही है। इसी बीच NSUI के उम्मीदवार और एक प्रोफेसर के बीच बहस हो गई। बहस इतनी बढ़ी कि मामला हाथापाई तक पहुंच गया।

Screen Grab- India TV Hindi Image Source : INDIA TV NSUI संयुक्त सचिव और प्रोफेसर के बीच हुई बहस

दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ यानी DUSU के लिए आज वोटिंग की जा रही है। डूसू के इस चुनाव में एक पोलिंग बूथ पर जमकर बवाल हुआ और बवाल इस कदर हुआ कि मामला हाथापाई तक पहुंच गया। यह हंगामा NSUI के संयुक्त सचिव और डीयू के प्रोफेसर के बीच में हुई और हंगामा बढ़कर हाथापाई तक पहुंच गया। दरअसल डूसू के लिए हो रहे चुनाव के बीच NSUI के संयुक्त सचिव लोकेश चौधरी अपना इलेक्शन बैच लेकर बूथ में गए थे। इस दौरान वहां मौजूद टीचर स्टाफ ने उन्हें रोक दिया। जिस स्टाफ ने उन्हें रोका उनका नाम प्रोफेसर अनुपम झा है जो लॉ फैक्लटी में हैं और आज इलेक्शन इंचार्ज के तौर पर ड्यूटी पर थे। इसके बाद बहस शुरु हुई और लोकेश चौधरी ने वहां अपने साथियों के साथ हंगामा कर दिया। इतना ही नहीं लोकेश चौधरी ने बदसलूकी और मारपीट भी शुरू कर दी।

वोटों की गिनती पर लगी हुई है रोक

आपको बता दें कि आज DUSU चुनाव के लिए वोटिंग हो रही है और कल यानी 28 सितंबर को इसके नतीजों की घोषणा होनी थी। मगर नतीजों की घोषणा पर रोक लग गई है। दरअसल इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट दखल देते हुए इसे रोका है। कोर्ट ने डूसू चुनाव के लिए वोटों की गिनती पर रोक लगाते हुए कहा कि जब तक चुनाव में खड़े उम्मीदवार पोस्टर, पैम्फलेट और होर्डिंग नहीं हटा लेते हैं तब तक चुनाव के परिणामों की घोषणा नहीं होगी। कोर्ट ने आगे कहा, 'उम्मीदवारों की तरफ से लगे पोस्टरों, पैम्फलेट और होर्डिंग को हटाने में DU, MCD और DMRC द्वारा जितने पैसे खर्च किए गए हैं उनका भुगतान करना होगा। ये भुगतान दिल्ली विश्वविद्यालय सभी उम्मीदवारों से पैसे वसूल करके करेगा।' कुल मिलाकर बात यह है कि अब कोर्ट के अगले आदेश तक DUSU चुनाव के वोटों की गिनती नहीं होगी।

कोर्ट ने DU अधिकारियों की लगाई थी फटकार

कोर्ट ने कल यानी 26 सितंबर को वोटों की गिनती पर रोक लगाने के अलावा DU के अधिकारियों की भी फटकार लगाई थी। अधिकारियों की फटकार लगाते हुए कोर्ट ने कहा, 'नियमों के उल्लंघन से निपटने के लिए एक प्रणाली स्थापित करने में DU विफल रही। DU के अधिकारियों ने मानकों को गिरने क्यों दिया और इसे रोकने के लिए कदम क्यों नहीं उठाए?' कोर्ट ने आगे कहा, अगर विश्वविद्यालय अपने छात्रों को अनुशासित नहीं करेगा तो कौन करेगा। आपके पास सारी शक्तियां हैं। आप छात्रों को निष्कासित या फिर अयोग्य घोषित कर सकते हैं लेकिन आपसे 21 उम्मीदवार नहीं संभाले गए। आप लाखों छात्रों को कैसे संभालेंगे।

(अनामिका गौर की रिपोर्ट)

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