इंश्योरेंस इंडस्ट्री दशकों से ग्रोथ कर रहा है, पिछले कुछ सालों से फैलती बीमारियों व दूसरी आशंकाओं के बीच इस इंडस्ट्री ने तेजी से ग्रोथ किया है। इस ग्रोथ के साथ यहां पर युवाओं को रोजगार के नए-नए अवसर मिल रहे हैं। इस फील्ड में सबसे ज्यादा मांग एक्चुरियल प्रोफेशनल्स की बनी हुई है। इन्हें इंश्योरेंस इंस्ट्री का बैक बोन कहा जाता है। ये जोखिमों का आकलन कर पॉलिसी तैयार करने और भुगतान करने में मदद करते हैं। इन प्रोफेशनल्स की मांग की वजह से युवा इंश्योंरेस सेक्टर को आज करियर बनाने के लिए पसंद कर रहे हैं।
एक्चुरियल प्रोफेशनल्स बनने के लिए एजुकेशन
युवा 12वीं व ग्रेजुएशन के बाद एक्चुरियल प्रोफेशनल्स कोर्स कर सकते हैं। 12वीं के बाद एक्चुरियल साइंस में जहां स्नातक डिग्री मौजूद है, वहीं मैथ्स-स्टेटिस्टिक्स, इकोनॉमेट्रिक्स सब्जेक्ट में ग्रेजुएशन करने के बाद एक्चुरियल में पीजी डिप्लोमा, मास्टर्स डिग्री और सर्टिफिकेट कोर्स भी किया जा सकता है।
एक्चुरियल प्रोफेशनल्स के कार्य
इस इंडस्ट्री में बीमा से जुड़े जोखिम और पॉलिसी का वित्तीय आकलन किया जाता है। यह कार्य एक्चुरियल प्रोफेशनल्स करते हैं। ये मैथ्स और स्टैटिस्टिक्स के मेथड्स का इस्तेमाल कर इंश्योरेंस और फाइनेंस इंडस्ट्री में जोखिम का अनुमान लगाते हैं। इन प्रोफेशनल्स अचानक होने वाले किसी घटनाक्रम के आर्थिक प्रभाव का भी आकलन करते हैं। यहां पर ये प्रोफेशनल्स अपनी योग्यता के आधार पर इंश्योरेंस एजेंट, एक्चुरी मैनेजर, डेवलपमेंट ऑफिसर, इंश्योरेंस सर्वेयर, रिस्क मैनेजर, एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर जैसे पदों पर कार्य कर सकते हैं।
एक्चुरियल प्रोफेशनल्स को जॉब के अवसर
एक्चुरियल साइंस का कोर्स पूरा करने के बाद इन प्रोफेशनल्स के पास करियर बनाने के कई ऑप्शन होते हैं। एक्चुरियल प्रोफेशनल्स की इंश्योरेंस और बैंकिंग सेक्टर के अलावा फाइनेंशियल कंपनियों, आईटी सेक्टर, मल्टीनेशनल कंपनियों, बीपीओ- केपीओ में भी खूब मांग रहती है। बीपीओ कंपनियां अपने सेक्टर के जोखिम के आकलन के लिए इन एक्चुरियल प्रोफेशनल्स को शानदार सैलरी पर हायर करती हैं। इसके अलावा इनके पास इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी, सोशल सिक्योरिटी स्कीम, टैरिफ एडवाइजरी कमिटी और फाइनेंशियल एनालिसिस जैसी फर्म में भी काम करने का अवसर मिलता है।
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