शुक्रवार यानी 14 जुलाई को भारत के नया इतिहास रचेगा। भारत के तीसरा चांद में पहुंचने का मिशन 14 जुलाई दोपहर 2.35 आंध्र प्रदेश के सतीश धवन स्पेस सेंटर इन श्रीहरिकोटा टेकऑफ करेगा। इस मिशन का उद्देश्य चंद्रमा के धरती को एक्सप्लोर करना है। अगर चंद्रमा की धरती पर ये चंद्रयान आसानी से लैंड कर जाता है चतो भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन नई इबारत लिख देगा। अब तक अमेरिका रूस और चीन ने ही ये कारनामा कर दिखाया है। इससे पहले भारत का चंद्रमा पर पहुंचने का सपना 2019 में टूट चुका है, लेकिन फिर कोशिश के लिए इसरो तैयार है।
स्वदेशी टेक्नोलॉजी से बना
बता दें कि भारत का ये मिशन सबसे कम बजट में तैयार किया गया है। इसरो ने चंद्रयान-3 के ज्यादातर हिस्से स्वदेशी टेक्नोलॉजी से विकसित किया है। इसरो इस में मिशन 'Fat boy' LVM3-M4 रॉकेट की मदद ले रहा है। जानकारी दे दें कि चंद्रयान 3 का बजट तकरीबन 615 करोड़ है, जो पूरी दुनिया में सबसे कम है। हमारे देश में इससे ज्यादा बजट आदिपुरूष फिल्म का था।
इन तीनों देशों के बजट कई गुना ज्यादा
जानकारी के लिए बता दें कि इससे पहले चांद पर सिर्फ 3 देशों को सफलता मिली है। उनके बजट इसरो के इस मिशन से कई गुना ज्यादा थे। अमेरिका के पहले मून मिशन अपोलो में 28 बिलियन डॉलर लगा था। वहीं रूस ने अपने मून मिशन के लिए लिए 5.6 बिलियन डॉलर खर्च कर दिए थे औऱ चीन ने अपने मिशन के लिए 12 बिलियन डॉलर खर्च किए थे।
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