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Hindi News एजुकेशन 2 महीने बिस्तर पर लेटने के लिए मिलेंगे 16 लाख, ये है सोने वालों के लिए अनोखी नौकरी

2 महीने बिस्तर पर लेटने के लिए मिलेंगे 16 लाख, ये है सोने वालों के लिए अनोखी नौकरी

अगर आप बहुत देर तक सो सकते हैं, तो ये अनोखी नौकरी आपके लिए ही है। नासा और यूरोप की स्पेस एजेंसी रिसर्च कर रही है। इस रिसर्च के लिए शर्त रखी गई उसे जान हर कोई हैरान है....

nasa- India TV Hindi Image Source : FREEPIK 2 महीने बिस्तर पर लेटने के लिए मिलेंगे 16 लाख

दुनिया में अनोखे कामों की कमी नहीं है। यूरोप में इन दिनों एक ऐसी अनोखी जॉब निकली है, जिसे जान हर कोई अचंभित है। जानकारी दे दें कि यूरोपीय स्पेस एजेंसी और नासा इन दिनों एक अनोखी रिसर्च कर रही है। इसमें स्पेस पैसेंजर्स के ऊपर लो ग्रैविटी के प्रभाव के कम करने को लेकर रिसर्च हो रहा है। इस अनोखे रिसर्च के लिए 12 लोगों को वॉलनटियर चुना गया है। इनमें से जो 2 महीने की रिसर्च पूरा कर लेगें उन्हें ($18,500) यानी लगभग 16 लाख रुपये दिए जाएंगे। वॉलनटियर्स को कोई काम नहीं करना है उन्हें बस 2 महीने तक बिस्तर पर सोने होंगे। ये अनोखी रिसर्च पूरी दुनिया चर्चा का विषय बनी हुई है। सोशल मीडिया पर तो कुछ लोग इस काम को बहुत आसान बता रहे हैं, तो कुछ कह रहे कि लगातार दो महीने बिस्तर पर पड़े रहना आसान काम नहीं है, ये थकाने वाला काम है।

करना होगा बस ये काम

जानकारी दे दें कि वॉलनटियर्स को बिस्तर पर ही खाना-नहाना और फ्रेश होना होगा। आप 2 महीने के लिए एक क्षण भी बिस्तर नहीं छोड़ पाएंगे। इतना ही नहीं, वॉलनटियर्स को खाना भी लेटे-लेटे ही खाना होगा। वहीं, नहाने के दौरान भी कम से एक कंधा बिस्तर होना चाहिए। उन्हें किसी भी परिस्थिति में बिस्तर छोड़ने की अनुमति नहीं होगी। यानि उन्हें किसी अंतरिक्ष यात्री की तरह ये काम लेटे-लेटे ही बिस्तर पर करने होंगे। जानकारी दे दें कि वॉलनटियर्स को दो महीने जिस बिस्तर पर काटने हैं, वह भी बहुत आरामदायक नहीं है। इसमें आपको तकिया रखने की इजाजत नहीं है। उल्टे यह बेड सिर की ओर से 6 डिग्री नीचे की ओर झुका रहेगा। जिसके चलते वॉलेंटियर्स के पांव ऊपर और सिर नीचे की ओर रहेंगे। रिसर्च में शामिल होने वाले वॉलनटियर्स दो महीने तक वर्कआउट भी लेटकर ही करना पड़ेगा। इसके लिए खासतौर से साइकिल बनाई गई है, जिसको लेटकर चलाई जा सकती है।

सेहत से जुड़ा है रिसर्च

यूरोपीय स्पेस एजेंसी के मुताबिक इस रिसर्च का उद्देश्य अंतरिक्ष यात्रियों की सेहत से जुड़ा है। दरअसल, अंतरिक्ष में जाने वाले साइंटिस्ट वहां लो ग्रैविटी फील करते हैं यानी उन्हें अपने शरीर का भार महसूस ही नहीं होता। जिस कारण उनकी मेंटल और फिजिकल हेल्थ पर बुरा प्रभाव पड़ता है और धरती पर आने के बाद कई अंतरिक्ष साइंटिस्ट्स की आंखें और दूसरे बॉडी पार्ट्स में समस्या आने लगती है। इस रिसर्च में वॉलनटियर्स को बिल्कुल अंतरिक्ष जैसा माहौल दिया जाएगा और लगातार उनकी सेहत के जरिए देखा जाएगा कि किन गतिविधियों से उनकी हेल्थ पर अच्छा या बुरा असर हो रहा है।

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