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Hindi News एजुकेशन मजदूर दिवस: मजदूरों को 15-15 घंटे करनी पड़ती थी मजदूरी, जानें कब और क्यों इसे घटाकर करना पड़ा 8 घंटे

मजदूर दिवस: मजदूरों को 15-15 घंटे करनी पड़ती थी मजदूरी, जानें कब और क्यों इसे घटाकर करना पड़ा 8 घंटे

आज से 137 साल पहले मजदूरों से 15-15 घंटे काम कराए जाते थे, मना करने पर उन्हें कोड़ों से मारा जाता था। उनपर इतने अत्याचार किए जाते थे कि इंसानियत भी शर्मशार हो जाए। इसके बाद मजदूरों के यूनियन ने तय किया कि वे इसके खिलाफ आवाज उठाएंगे और फिर...

Labour Day- India TV Hindi Image Source : INDIA TV मजदूर दिवस

ये जो आपके आसपास बड़ी-बड़ी बिल्डिंग हैं इन्हें बनाने में न जानें कितने मजदूरों ने अपने खून-पसीने एक कर दिए हैं। कोरोना काल में हमने न जानें कितने ही मजदूरों के दर्द देखें हैं। मजदूर ये शब्द है ऐसा है कि जिसे देखो, इन इंसान पर रौब दिखाता नजर आता है, शोषण करता है। और ये कोई आज से कल से नहीं हो रहा, ये सदियों से होता आ रहा है। आपको जानकार हैरानी होगी कि सालों पहले मजदूरों को 15-15 घंटे तक काम कराया जाता है और मजदूरी भी बस नाम मात्र ही मिलती थी। आज अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस है, लेकिन क्या आपको पता है कि मजदूर दिवस क्यों व कब से मनाय जा रहा है और भारत में इसकी शुरूआत कबसे हुई? आइए जानते हैं इसका इतिहास..

137 साल पुराना है इतिहास

बात कुछ 137 साल पहले की है, इस दौर में मजदूरों के साथ जानवरों जैसा सुलूक किया जाता था। इस ऐसे भी कह सकते हैं कि मजदूरों को एक तरीके से गुलाम समझने की प्रथा थी। बता दें कि ये दौर अमेरिका समेत पश्चिमी देशों में औद्योगिकीकरण था, इस दौरान मजदूरों से 15-15 घंटे काम लिया जाता था, उन्हें सूर्योदय से सूर्यास्त तक काम करने के लिए मजबूर किया जाता था। अगर काम में कोई कोताही हो तो उन पर कोड़े बरसाए जाते थे। इसके बाद अमेरिका और कनाडा की ट्रेड यूनियनों के संगठन फेडरेशन ऑफ ऑर्गेनाइज्ड ट्रेड्स एंड लेबर यूनियन ने आवाज उठाई। यूनियन ने लोगों को इकट्ठा किया और तय किया कि 1 मई 1886 के बाद रोजाना 8 घंटे से ज्यादा काम नहीं करेंगे। जब वो दिन करीब आया तो अमेरिका के अलग-अलग शहरों में लाखों मजदूर शोषण के खिलाफ हड़ताल पर चले गए। यहीं से बड़े मजदूर आंदोलन की शुरुआत हुई।

कई मजदूरों की मौत 

देखते ही देखते पूरे अमेरिका में मजदूर सड़कों पर उतर गए, जगह-जगह आंदोलन होने लगे। इस दौरान पुलिस ने आंदोलन को कुचलने की कोशिश की। शहर-शहर मजदूरों पर पुलिस ने गोली चला दी, जिसमें कई मजदूरों की मौत हो गई और सैकड़ों घायल हो गए। इसके बाद 1889 में जब पेरिस में इंटरनेशनल सोशलिस्ट कॉन्फेंस की गई। फैसला मजदूरों के पक्ष में आया। तय किया गया कि मजदूर 8 घंटे के ज्यादा काम नहीं करेंगे और करेंगे तो उन्हें ओवर टाइम मिलेगा। साथ ही तय किया गया कि मजदूरों को भी छुट्टी लेने का हक है। इसके अलावा 1 मई को मजदूरों को समर्पित करने की बात कही गई। इस तरह धीरे-धीरे मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत हुई। आज हम आप अगर दिन में 8 घंटे काम करते हैं तो ये अमेरिका के इसी आंदोलन की देन है। आज मजदूर दिवस दुनिया भर के कई देश मनाते हैं।

भारत में मजदूर दिवस कब शुरू हुआ

हमारे देश भारत में मजदूर दिवस की शुरूआत लेबर किसान पार्टी ऑफ हिन्दुस्तान ने 1 मई 1923 को मद्रास में की। ध्यान दें यही वो मौका था जब पहली बार मजदूरों के लिए लाल रंग के झंडे का इस्तेमाल किया गया। यह देश में मजदूर आंदोलन की शुरुआत थी, जिसका नेतृत्व वामपंथी व सोशलिस्ट पार्टियां कर रही थीं। इस आंदोलन में मजदूर संगठित होकर शोषण व अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठा रहे थे। कई राज्यो में 1 मई को अवकाश भी रहता है।

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