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लोहे की होने की बावजूद बिजली से चलती है ट्रेन, फिर भी लोगों को क्यों नहीं लगता करंट

आपने कभी सोचा है कि जब ट्रेन बिजली से चलती है तो लोगों को उसके अंदर बैठकर करंट क्यों नहीं लगता। अगर आपको नहीं पता है तो कोई बात नहीं, आज हम आपको इस खबर के जरिए इस बात की जानकारी देंगे।

ट्रेन में बैठे लोगों को क्यों नहीं लगता करंट(सांकेतिक फोटो)- India TV Hindi Image Source : FILE ट्रेन में बैठे लोगों को क्यों नहीं लगता करंट(सांकेतिक फोटो)

हम सभी ने कभी न कभी- कहीं न कहीं जानें के लिए ट्रेन से यात्रा की ही है। हमारे देश में रोजाना लाखों की संख्या में लोग ट्रेन से सफर करते हैं। हालांकि, अब डीजल ट्रेन के मुकाबले इलेक्ट्रिक ट्रेन ज्यादा मात्रा में पटरियों पर दौड़ रही हैं। हो सकता है कि आप लोगों में कई लोगों ने कई बार ट्रेन से सफर किया हो और किसी ने एक-दो बार ही। लेकिन सफर के दौरान कभी आपने ये सोचा है कि जब ट्रेन बिजली से चल रही है तो लोगों को उसके अंदर बैठकर करंट क्यों नहीं लग रहा। ट्रेन के बिजली से चलने के बावजूद क्यों आपको इलेक्ट्रिक शॉक नहीं लगता? अगर आपको ये नहीं पता है तो अब इसको पढ़ने के बाद आप ये जरूर सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे होता है? आज हम आपको इस खबर के जरिए इस बात की जानकारी देंगे।      

Image Source : Fileसांकेतिक फोटो

ये है कारण
ऐसा भी हो सकता है कि आप में से कुछ लोगों को इस बात की जानकारी होगी कि इलेक्ट्रिक रेल में बैठे रहने के बावजूद आपको करंट क्यों नहीं लगता? लेकिन ज्यादातर लोगों को इस बात की जानकारी नहीं है। दरअसल, रेल के बिजली से चलने के बावजूद आपको करंट इसलिए नहीं लगता क्योंकि आप कोच में होते हो, जिसका कोई डायरेक्ट टच हाईवोल्टेज लाइन से नहीं होता है जिससे ट्रेन दौड़ती है। दरअसल, ट्रेन के इंजन के ऊपर एक पेंटोग्राफ लगाया जाता है जो ऊपर से गुजर रही हाईवोल्टेज लाइन से टच होता है। जब ट्रेन चलती है तो इंजन पर लगा पेंटोग्राफ हाईवोल्टेज लाइन से हमेशा कांटेक्ट में रहता है, जिससे ट्रेन इल्क्ट्रिसिटी मिलती है। 

कैसे बतचा है इंजन?
अब आपके मन में एक प्रश्न आ रहा होगा कि पेंटोग्राफ इंजन के ऊपर लगाया जाता है तो करंट से इंजन कैसे बचता है? दरअसल पेंटोग्राफ के नीचे Insulators लगाए जाते हैं ताकि करंट इंजन बॉडी में नहीं आए। इसके अलावा ट्रैक्शन ट्रांसफर्मर, मोटर आदि इलेक्ट्रिकल डिवाइसेज से निकलने के बाद रिटर्न करंट पहियों और एक्सल से होते हुए रेल में और अर्थ पोटेंशियल कंडक्टर से होते हुए वापस चली जाता है। 

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