जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में एक स्कूल खुलने जा रहा है, इसमें भारत के अलग-अलग राज्यों की झलक दिखेगी। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि यह स्कूल देश की सांस्कृतिक विविधता की तस्वीर पेश करेगा। यह स्कूल अगले साल से शुरू हो जाएगा, यह पूरी तरह से भारतीय भाषाओं का एक नया स्कूल होगा। इस स्कूल में अलग-अलग भाषाओं के पाठ्यक्रम पेश किए जाएंगे। JNU की वीसी शांतिश्री डी पंडित ने इस पर कहा कि जेएनयू स्कूल ऑफ इंडियन लैंग्वेज में देश के अलग-अलग राज्यों के केंद्र होंगे और यहां साहित्य, संस्कृति और इतिहास पढ़ाया जाएगा।
राज्यों के पैसे से बन रहा है स्कूल
यह स्कूल राज्यों के पैसों से बन रहा है। हर राज्य अपने केंद्र के लिए पैसा दे रहा है। JNU VC शांतिश्री डी पंडित ने कहा कि कई राज्यों ने इस संबंध में दिलचस्पी दिखाई है और तमिलनाडु पहला राज्य है जिसने अपने केंद्र के लिए 10 करोड़ रुपये दिए हैं। इस पूरे कार्यक्रम के पीछे की वजह यह है कि जेएनयू द्वारा भारतीय भाषाओं के लिए शुरू किए जा रहे इस नए स्कूल में देश की अलग-अलग राज्य सरकारें विश्वविद्यालय को पीठ स्थापित करने के लिए पैसा दे रही हैं। जेएनयू प्रशासन का इस पर कहना है कि इस नए स्कूल में ना केवल भाषाओं, बल्कि उस राज्य के साहित्य, संस्कृति और इतिहास के विषय में भी पढ़ाई होगी और उनके विशेष केंद्र बनेंगे।
इन राज्यों ने दे दिया है पैसा
यूनिवर्सिटी की वीसी Shantishree D Pandit ने बताया कि तमिलनाडु के अलावा देश के चार अन्य राज्य- ओडिशा, कर्नाटक, महाराष्ट्र और असम ने भी इस केंद्र के लिए 10-10 करोड़ रुपये देने पर सहमति जताई है। ऐसा करके अब हमारे पास 50 करोड़ रुपये का कोष इकट्ठा हो जाएगा। इसके अलावा हम अन्य राज्यों से भी इस संबंध में संपर्क कर रहे हैं।
वीसी शांतिश्री पंडित ने इस पर आगे कहा कि इन केंद्रों में सर्टिफिकेट कोर्स, मास्टर डिग्री कोर्स छात्रों को ऑफर किए जाएंगे। वीसी ने कहा कि यह कार्यक्रम देश भर में भारतीय भाषाओं के इतिहास और विरासत का जश्न मनाने के पीएम मोदी के दृष्टिकोण और मिशन को लागू करने के लिए आयोजित किया जा रहा है। इस नए स्कूल और इसके कोर्स और उनमें एडमिशन के संबंध में कोई भी जानकारी आप जल्द jnu.ac.in पर देख पाएंगे।
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