नई दिल्ली। जामिया मिलिया इस्लामिया में शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यचर्या की रूपरेखा पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया। इसका शीर्षक 'रीइन्वेंटिंग कर्रिकुलम फ्रेमवर्क फॉर टीचर एजुकेशन इन पसुर्अंस ऑफ एनईपी 2020 कंसर्न्स एंड फ्यूचर प्रॉस्पेक्ट्स' था। वेबिनार का आयोजन एसओई द्वारा पंडित मदन मोहन मालवीय राष्ट्रीय शिक्षक एवं प्रशिक्षण मिशन योजना भारत सरकार के तत्वावधान में किया गया।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता जामिया के कुलपति एवं वेबिनार की मुख्य संरक्षक प्रोफेसर नजमा अख्तर ने की। एनसीईआरटी के पूर्व निदेशक और एनसीटीई के अध्यक्ष प्रोफेसर जेएस राजपूत ने मुख्य वक्तव्य दिया।वेबिनार के संयोजक प्रो. एजाज मसीह ने वेबिनार की अपेक्षाओं से अवगत कराया, जिसका उद्देश्य एक ऐसा ढांचा विकसित करना है जो 2040 तक भारत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षा प्रणाली बनाने के लिए मंच तैयार कर सके।
प्रो. राजपूत ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए आलोचनात्मक सोच पर जोर दिया जिसे शिक्षा के साथ विकसित किया जाना चाहिए। उन्होंने शिक्षा की उपयोगिता पर ध्यान केंद्रित किया जिसे सोच, ध्यान और अध्ययन कौशल के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।
प्रोफेसर नजमा अख्तर ने कहा कि शिक्षक प्रशिक्षण के लिए पाठ्यचर्या की रूपरेखा विकसित करना एक बहुत बड़ा कार्य है। रूपरेखा में संरचनात्मक परिवर्तन की आवश्यकता है और यह अपनी प्रकृति में निर्देशात्मक नहीं होना चाहिए।
गौरतलब है कि वेबिनार में पूर्व कुलपति, पूर्व अध्यक्षों और एनसीटीई के उपाध्यक्षों, शिक्षा के विभिन्न संकायों के डीन, शिक्षा विभाग के प्रमुखों और देश भर के कई विश्वविद्यालयों के क्षेत्र के विशेषज्ञों सहित शिक्षाविदों की रही जिन्होंने वेबिनार में विभिन्न विषयों पर अपने विचार रखे।
समापन भाषण प्रोफेसर सरोज शर्मा, अध्यक्ष, एनआईओएस ने दिया। प्रोफेसर शर्मा ने वेबिनार के आयोजन में जामिया द्वारा की गई पहल पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि शिक्षक शिक्षा के लिए पाठ्यचर्या ढांचे को फिर से तैयार करने के लिए बहुत कुछ करने की आवश्यकता है जिसमें न केवल शैक्षणिक प्रथाओं का पुनर्गठन बल्कि शिक्षक शिक्षा के विभिन्न कार्यक्रमों की सामग्री क्षेत्र भी शामिल है।
प्रोफेसर श्याम मेनन ने एक ऐसा ढांचा विकसित करने पर जोर दिया जो व्यवहार्य और क्षेत्र विशिष्ट होना चाहिए। उन्होंने दोहराया कि शिक्षक और विशेष रूप से शिक्षक प्रशिक्षक न केवल शिक्षक-शिक्षा पाठ्यक्रम के कार्यान्वयन करते हैं बल्कि इसके योजनाकार भी हैं और इसलिए उन्हें इस कार्य को करने के लिए आगे आना चाहिए।
वेबिनार में देश भर के विभिन्न विश्वविद्यालयों और शिक्षक शिक्षा संस्थानों के लगभग दो सौ शिक्षक-शिक्षकों और शोधार्थियों ने भाग लिया। वेबिनार का समापन आयोजन सचिव डॉ अंसार अहमद द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।
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