नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने सोमवार को जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में इंजीनियरिंग संस्थान व अटल बिहारी वाजपेयी प्रबंधन एवं उद्यमिता संस्थान की आधारशिला रखी। डॉ. निशंक ने संस्थान का नाम भारतरत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखने पर हर्ष व्यक्त किया। उन्होंने कहा, "मुझे विश्वास है कि यहां पढ़ने वाले छात्रों, शोधार्थियों और अध्यापकों को अटल जी के कालजयी व्यक्तित्व और विकासोन्मुखी विचारों से प्रेरणा मिलती रहेगी।"
इस दौरान केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि कुलपति एम.जगदीश कुमार की दूरदृष्टि की वजह से ही पिछले पांच वर्षो में जेएनयू में कई नए अकादमिक संस्थान शुरू किए गए हैं। इनसे देश की युवा पीढ़ी को निश्चित रूप से लाभ मिलेगा। ये दो संस्थान आत्मनिर्भर भारत अभियान में अहम भूमिका निभाएंगे।
शिक्षा मंत्री ने कहा, "इन दोनों संस्थानों के साथ-साथ विश्वविद्यालय में सुविधाजनक अन्य भवन व साधनों की व्यवस्था के लिए सरकार से हेफा फंड के अंतर्गत एक विशाल राशि जुटाने में प्रोफेसर कुमार सफल रहे। मुझे आशा है कि इस फंड के सदुपयोग से जेएनयू का भविष्य और भी सुदृढ़ एवं प्रभावी होगा। यहां आकर पढ़ने वाले छात्रों, शोधार्थियों, अध्यापकों को उपयुक्त सुविधाएं भी प्राप्त होंगी। प्रस्तावित भवन विश्वस्तरीय उच्च-गुणवत्ता वाली सुविधाओं से संपन्न होगा, जिससे प्रौद्योगिकी-आधारित शिक्षा शास्त्र व शैक्षिक माहौल का विकास होगा।"
केंद्रीय मंत्री ने कहा, "हमारी शिक्षा संस्कृति, प्रकृति एवं प्रगति के अनुरूप होनी चाहिए। ऐसी शिक्षा छात्रों को जीवन जीने की दृष्टि और उद्यमिता प्रदान करती है। साथ ही यह पूरे समाज को भी सक्षम बनाती है। ऐसी ही दूरगामी सोच के साथ हमने अपनी राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू किया है।"
गौरतलब है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रस्तावित सुधारों के अनुसार, कला और विज्ञान, व्यावसायिक तथा शैक्षणिक विषयों एवं पाठ्यक्रम व पाठ्येतर गतिविधियों के बीच, कोई बहुत अधिक अंतर नहीं होगा। वहीं जेएनयू ने शिक्षा नीति लागू होने से पहले ही भाषा, प्रौद्योगिकी, प्रबंधन, उद्यमिता एवं आर्थिक विषयों में बहुवैकल्पिक शिक्षा के पाठ्यक्रम लागू किए हैं।
निशंक के मुताबिक, विश्वविद्यालय इसी तरह देश को शिक्षा नीति के सफल क्रियान्वयन के लिए प्रोत्साहित करने में सहायक सिद्ध होगा। जेएनयू में यह क्षमता भी है कि वह देश के शिक्षण संस्थानों को इसके क्रियान्वयन की दिशा दे।
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