नई दिल्ली। अमेरिकी विश्वविद्यालय भारत में कैसे आएं, भारत में अपने परिसरों को खोलने के लिए अमेरिका के विश्वविद्यालयों की क्या अपेक्षाएं हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय यह जानने का प्रयास करेगा। इस काम में अमेरिका स्थित भारतीय दूतावास केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का सहयोग करेगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने मंगलवार को अमेरिका में भारत के राजदूत तरनजीत सिंह संधू से मुलाकात की। इस दौरान देश की नई शिक्षा नीति पर भी विस्तृत विचार विमर्श किया गया।
भारतीय राजदूत से अमेरिका के अन्य भारतीय वाणिज्य दूतावासों से परामर्श करने को कहा गया। विभिन्न हितधारकों से यह पता करने का आग्रह किया गया कि भारत में अपने परिसरों को खोलने के लिए अमेरिका के विश्वविद्यालयों की क्या अपेक्षाएं हैं। इससे स्टडी इन इंडिया योजना के तहत अमेरिकी छात्रों को भारत में आकर्षित करने के तरीकों का पता लगाया जा सके।
केंद्रीय मंत्री ने अमेरिका में भारत के राजदूत को यह भी बताया कि स्पार्क के तहत अमेरिका से संयुक्त अनुसंधान प्रस्तावों (74.80 करोड़ रुपये) की अधिकतम संख्या को अनुमोदित किया गया था। निशंक ने उम्मीद जताई कि अमेरिका में भारत का दूतावास इस योजना के प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
केंद्रीय मंत्री ने अमेरिका में भारत के दूतावास द्वारा की जा रही शैक्षिक गतिविधियों पर हर्ष व्यक्त करते हुए कहा, "मैं चाहता हूं कि वहां पढ़ने वाले भारतीय छात्रों को अतिरिक्त देखभाल दी जाए। यह भी आशा करता हूं कि जब भी आवश्यकता हो उन्हें हरसंभव मदद और सहयोग प्रदान किया जाएगा।"
केंद्रीय मंत्री ने संधू से कहा, "भारत का दूतावास अमेरिका में विभिन्न उच्च शैक्षिक संस्थानों के बीच राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए कई सेमिनार, वेबिनार, सम्मेलन और कार्यशालाएं इत्यादि आयोजित करने का प्रयास कर सकता है। इस तरह का आयोजन वहां के अन्य भारतीय वाणिज्य दूतावासों द्वारा भी किया जा सकता है।"अमेरिका स्थित उच्च शिक्षण संस्थानों में नई भारतीय शिक्षा नीति के व्यापक प्रचार-प्रसार हेतु सहयोग का आह्वान किया गया है।
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