सरकार ने IIM को लेकर जारी किए नए नियम, अब बोर्ड ऑफ गवर्नर्स को राष्ट्रपति कर सकते हैं भंग
सरकार ने IIM को लेकर नए नियम जारी किए हैं। इन नियमों के मुताबिक, अब आईआईएम के हित में फैसला लेने का हक राष्ट्रपति के पास होगा।
आईआईएम को लेकर केंद्र सरकार ने नए नियम बनाए हैं। इन नियमों के तहत राष्ट्रपति अब सभी इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम) में "विजिटर" होंगे, यानी इनके पास ही बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष की नियुक्ति, डायरेक्टर की नियुक्ति और हटाने की शक्तियां होंगी। इतना ही नहीं राष्ट्रपति के पास दिए गए किसी भी निर्देश का पालन करने में लगातार चूक करने और सार्वजनिक हित में बोर्ड को भंग करने का भी अधिकार होगा।
जुलाई में हुआ था पारित
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (संशोधन) नियम, 2023, इस साल जुलाई में संसद में पारित किया गया था, इसे आईआईएम नियम, 2018 में और संशोधन करने के लिए लाया गया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने बीते 11 नवंबर को एक राजपत्रित नोटिफिकेशन में नियम और शर्तों को बताते हुए नए नियमों को नोटिफाई किया है।
कौन-कौन-सी होंगी शक्तियां?
भारत के राष्ट्रपति के पास हर एक आईआईएम की प्रमुख एग्जिक्युटिव बॉडी- बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष को नामित करने की पूरी शक्ति होगी, नीतिगत निर्णय लेना, वार्षिक बजट को मंजूरी देना और शुल्क निर्धारित करना और नए डायरेक्टर्स की नियुक्ति के लिए सर्च पैनल नियुक्त करने की शक्ति होगी। इससे पहले, बोर्ड द्वारा गठित की जाने वाली एक सर्च-कम-सेलेक्शन कमेटी में प्रशासकों, इंडस्ट्रिलिस्ट, शिक्षाविदों, साइंटिस्ट, टेक्नोक्रेट और मैनेजमेंट स्पेशलिस्ट में से पांच प्रतिष्ठित व्यक्तियों को चुना गया था।
नए मानदंडों के तहत, विजिटर के पास अब किसी भी समय, तीन परिस्थितियों में बोर्ड को भंग करने की शक्ति होगी। जैसे यदि विजिटर को लगता है कि बोर्ड अपने कार्यों का निर्वहन करने में असमर्थ है, किसी भी निर्देश का पालन करने में लगातार चूक कर रहा है। इस अधिनियम के तहत और सार्वजनिक हित में विजिटर को ये शक्ति दिया गया है।
बोर्ड को भंग कर सकता है विजिटर
नोटिफिकेशन में आगे कहा गया, “विजिटर यानी राष्ट्रपति आदेश जारी कर बोर्ड को भंग कर सकता है और किसी व्यक्ति या व्यक्तियों को अंतरिम बोर्ड के अध्यक्ष और सदस्यों के रूप में नियुक्त कर सकता है, चाहे जैसा भी मामला हो, ऐसी अवधि के लिए, जो छह महीने से अधिक नहीं होगी, और उन्हें शक्तियों का प्रयोग करने और निर्वहन करने का निर्देश दे सकता है। अधिनियम के तहत कार्य करता है।” बता दें कि इससे पहले बोर्ड को भंग करने की ऐसी कोई धारा नहीं थी।
अंतिम फैसला विजिटर का होगा
नए नियमों के मुताबिक, किसी भी आईआईएम के डायरेक्टर की नियुक्ति में अंतिम फैसला विजिटर का होगा। नोटिफिकेशन में कहा गया, "विजिटर, बोर्ड द्वारा अनुशंसित नामों में से एक को नामांकित करेगा और उसे डायरेक्टर के रूप में व्यक्ति की नियुक्ति के लिए बोर्ड को भेजेगा'' हालाँकि, इससे पहले डायरेक्टर की नियुक्ति के लिए बोर्ड पूरी तरह जिम्मेदार था।
डायरेक्टर की सेवाएं खत्म करने का भी अधिकार
इतना ही नहीं, विजिटर के पास अब डायरेक्टर की सेवाएं खत्म करने का भी अधिकार होगा। आगे नोटिफिकेशन में कहा गया, “इस उप-नियम के किसी भी खंड में निहित किसी भी बात के बावजूद, यदि विजिटर फैसला लेता है कि डायरेक्टर की सेवाएं खत्म की जा सकती हैं या डायरेक्टर को संस्थान की सेवाओं से मुक्त किया जा सकता है, तो बोर्ड निर्णय का पालन करने के लिए बाध्य होगा।" बता दें कि साल 2018 के आईआईएम नियमों के तहत, केवल बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के पास उपस्थित और मतदान करने वाले दो तिहाई सदस्यों और बोर्ड के 50% से अधिक सदस्यों के साथ निदेशक को हटाने की शक्ति थी।
क्या होनी चाहिए डिग्री?
नोटिफिकेशन में आईआईएम डायरेक्टर की एजुकेशन क्वालिफिकेशन को लेकर कहा गया है कि इस पद के लिए उम्मीदवार के पास प्रतिष्ठित एकेडमी से पीएचडी या समकक्ष डिग्री" के जगह पर प्रतिष्ठित एकेडमी से बैचलर और मास्टर दोनों में प्रथम श्रेणी की डिग्री, और किसी प्रतिष्ठित संस्थान से पीएचडी या समकक्ष के साथ प्रतिष्ठित एकेडमिक" होनी चाहिए।
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