Gandhi Jayanti 2023: आज पूरे देश में महात्मा गांधी की 154वीं जयंती मनाई जा रही है। आज के दिन स्कूल-कॉलेजों में खास प्रोग्राम का आयोजन किया जाता है। हमारे देश को 15 अगस्त 1947 को आजादी मिली, लेकिन आजादी की कहानी बहुत लंबी है। दशकों की तपस्या के बाद आजादी का फल 15 अगस्त 1947 को मिला। इस आजादी में बहुत लोगों का किरदार रहा, लेकिन हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का किरदार कुछ अलग ही रहा। उनके अहिंसा के पथ को आज पूरी दुनिया नमन करती है। उन्होंने हमारे देश की आजादी के लिए बहुत आंदोलन किए और बड़े-बड़े आंदोलन किए। लेकिन क्या आप जानते हैं कि महात्मा गांधी के किस आंदोलन से असल में अंग्रेजों के पैर उखड़ गए थे, जिसके बाद वे हमारे देश से भागने पर मजबूर हो गए थे। आज हम इस खबर के जरिए इस आंदोलन से आपको अवगत कराएंगे।
इस दिन शुरू हुआ था आंदोलन
महात्मा गांधी के आंदोलन और उनके अहिंसावादी पथ के बारे में सिर्फ हमारा देश ही नहीं बल्कि पूरा विश्व जानता है। महात्मा गांधी का वो आंदोलन जिससे फिरंगी देश को छोड़ने के लिए मजबूर हो गए थे, उसे हम सभी लोग 'भारत छोड़ो आंदोलन' के नाम से जानते हैं। इसे क्विट इंडिया मूवमेंट(Quit India Movement) के नाम से भी जान जाता है। इस आंदोलन की शुरूआत 08 अगस्त 1942 को हुई थी। 'भारत छोड़ो आंदोलन' का नेतृत्व महात्मा गांधी द्वारा किया गया था।
शुरूआत के दूसरे दिन ही हुई गिरफ्तारी
जैसे ही महात्मा गांधी के नेतृत्व में 'भारत छोड़ो आंदोलन' शुरू हुआ, उसके अगले ही दिन 9 अगस्त को अंग्रेज हुक्मरानों(अंग्रेजी सरकार) ने महात्मा गांधी समेत हजारों लोगों को हिरासत में ले लिया था। इस आंदोलन में कई लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। आज भी उन लोगों को श्रद्धांजलि दी जाती है, जिन्होंने आजादी के लिए 'भारत छोड़ो आंदोलन' जैसी मुहिम में अपने प्राणों गंवा दिए थे।
'करो या मरो' का नारा
क्विट इंडिया मूवमेंट(Quit India Movement) का प्रभाव जनता पर इतना गहरा पड़ा था कि संपूर्ण देश 'भारत छोड़ो आंदोलन' की मुहिम में शामिल था। इस आंदोलन के दौरान ही महात्मा गांधी ने 'करो या मरो' का नारा दिया था। इन नारे से जनता पर प्रभाव ऐसा पड़ा कि अंग्रेजों को हमारे देश को छोड़कर भागना पड़ा।
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