विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने बताया कि फॉरेन यूनिवर्सिटीज को भारत में परिसर स्थापित करने के लिए UGC से मंजूरी लेनी होगी। उन्होंने कहा कि शुरुआत में विदेशी विश्वविद्यालयों को 10 साल के लिए मंजूरी दी जाएगी। इसके अलावा उन्हें एडमिशन प्रोसेस, फीस ढांचा तय करने की छूट होगी। UGC अध्यक्ष ने कहा कि भारत में परिसर स्थापित करने वाले विदेशी विश्वविद्यालयों को अपनी खुद की प्रवेश प्रक्रिया तैयार करने की छूट होगी । ये संस्थान फीस ढांचा तय कर सकते हैं।
'मेन कैंपस जैसी ही शिक्षा मिले भरतीय कैंपस में'
UGC के अध्यक्ष ने बताया कि यूरोप के कुछ देशों के विश्वविद्यालयों ने भारत में परिसर स्थापित करने में रूचि दिखायी है। उन्होंने कहा कि चूंकि विदेशी विश्वविद्यालय भारत सरकार से वित्त पोषित संस्थान नहीं हैं, ऐसे में उनकी एडमिशन प्रोसेस, फीस ढांचे को तय करने में UGC की भूमिका नहीं होगी। यूजीसी अध्यक्ष ने कहा, "विदेशी विश्वविद्यालयों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके भारतीय परिसरों में प्रदान की जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता, उनके मेन कैंपस में दी जाने वाली शिक्षा के समान ही गुणवत्तापूर्ण हो।"
सिर्फ ऑफलाइन प्रोग्राम को मंजूरी
एम जगदीश कुमार ने कहा, "विदेश से कोष का आदान-प्रदान विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के तहत होगा।" कुमार ने कहा कि भारत में कैंपस स्थापित करने वाले विदेशी यूनिवर्सिटीज केवल परिसर में प्रत्यक्ष कक्षाओं के लिए पूर्णकालिक कार्यक्रम ऑफलाइन क्लासेज को पेश कर सकते हैं, ऑनलाइन माध्यम या दूरस्थ शिक्षा माध्यम से नहीं।
यह पूछे जाने पर कि क्या इन विदेशी विश्वविद्यालयों के परिसरों में रिजर्वेशन पॉलिसी लागू होगी, तो इसपर UGC अध्यक्ष ने कहा कि एडमिशन संबंधी पॉलिसी तय के बारे में फैसला विदेशी विश्वविद्यालय करेंगे। उन्होंने कहा कि इसमें UGC का कोई रोल नहीं होगा। उन्होंने कहा कि मूल्यांकन प्रक्रिया और छात्रों की जरूरतों का आकलन करने के बाद आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों को स्कोलरशिप की व्यवस्था हो सकती है, जैसा कि विदेशी यूनिवर्सिटीज में होता है।
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