नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सितंबर के अंत तक अंतिम वर्ष की परीक्षा आयोजित करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। अदालत ने सभी पक्षों को अपनी दलीलें लिखित में पेश करने के लिए तीन दिन का और समय दिया है।। तीन घंटे तक चली सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि विश्वविद्यालय समयसीमा को आगे बढ़ाने की मांग कर सकते हैं, हालांकि, वे परीक्षा आयोजित किए बिना डिग्री प्रदान करने का निर्णय नहीं ले सकते।
सुप्रीम कोर्ट में अंतिम वर्ष की परीक्षाओं के मामले में सुनवाई शुरू हो गयी है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर. सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम.आर. शाह की खण्डपीठ यूजीसी गाइडलाइंस मामले की सुनवाई कर रही है। देश भर के विश्वविद्यालयों एवं अन्य उच्च शिक्षा संस्थानों में स्नातक एवं परास्नातक पाठ्यक्रमों की अंतिम वर्ष या सेमेस्टर की परीक्षाओं को 30 सितंबर तक करा लेने के यूजीसी के निर्देशों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज, 18 अगस्त 2020 को फिर सुनवाई होनी थी।
इससे पहले मामले की 14 अगस्त 2020 को सुनवाई हुई थी। मामले में यूजीसी एवं सरकार का पक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता रख रहे हैं, जबकि छात्रों का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी रख रहे हैं। वहीं, इसी मामले से सम्बन्धित युवा सेना के एक अन्य मामले में छात्रों का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान रख रहे हैं। जबकि अधिवक्ता अलख आलोक 31 छात्रों के सम्बन्धित मामले में पक्ष रख रहे हैं।
Latest Education News