नई दिल्ली। कोरोना की वजह से इस साल केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की 12वीं की परीक्षा होगी या नहीं, इसपर अभी तक सरकार का फैसला नहीं हुआ है, लेकिन कई बच्चे परीक्षा को रद्द कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में हैं। लगभग 300 बच्चों के एक समूह ने मिलकर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमन्ना को पत्र लिखकर याचिका दी है कि स्कूलों में बुलाकर परीक्षा कराने के CBSE के फैसले को रद्द किया जाए। बच्चों ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि वह सरकार को रिजल्ट के लिए वैकल्पिक मूल्यांकन योजना तैयार करने का निर्देश दे।
इससे पहले केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने रविवार को कहा था कि 12वीं कक्षा की बोर्ड की लंबित परीक्षा कराने के संबंध में राज्यों के बीच व्यापक सहमति है और इस बारे में जल्द सुविचारित एवं सामूहिक निर्णय एक जून तक लिया जाएगा. जबकि केरल ने परीक्षा से पहले छात्रों का टीकाकरण करने की बात कही.वहीं गुजरात सरकार ने आज 25 मई को घोषणा कर दी है कि पहली जुलाई से सरकार 12वीं की परीक्षा का आयोजन करेगी।
वहीं दिल्ली सरकार ने भी 12वीं की बोर्ड परीक्षा रद्द करने का सुझाव दिया, जबकि अधिकांश राज्यों ने हालात सुधरने पर परीक्षाएं करवाने की बात कही है। वहीं महाराष्ट्र का कहना है कि छात्रों को सुरक्षित वातावरण प्रदान करना उनकी प्राथमिकता है। रविवार को हुई इस बैठक की अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की। बैठक में केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी और केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर शामिल हुए। इनके अलावा सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के शिक्षा मंत्री और शिक्षा सचिव भी बैठक में शामिल रहे।
राज्यों के परामर्श के बाद सीबीएसई 12वीं के केवल प्रमुख विषयों की परीक्षा के लिए राजी हो सकती है। सीबीएसई 12वीं बोर्ड के लिए कुल 174 विषय की परीक्षा होती है। कोरोना के कारण उत्पन्न हुई मौजूदा स्थिति में सीबीएसई गणित, विज्ञान, हिंदी, इंग्लिश, इतिहास, भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, अर्थशास्त्र समेत केवल 20 मुख्य विषयों की परीक्षा ले सकती है। इसके अलावा 12वीं के छात्रों को अपने ही स्कूलों में परीक्षा देने का विकल्प दिया जा सकता है।
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