नयी दिल्ली। केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को स्पष्ट किया कि सिविल सेवा परीक्षा (सीएसई) से सिविल सेवा एप्टीट्यूट टेस्ट (सीसैट) को हटाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। देश में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) सिविल सेवा परीक्षा का संचालन करता है। इसके तीन चरण - प्राथमिक, प्रधान और साक्षात्कार होते हैं। इन परीक्षाओं के माध्यम से देश में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) सहित कुछ अन्य पदों के लिए अधिकारियों का चयन होता है। सीसैट सिविल सेवा के प्राथमिक चरण का हिस्सा है।
राज्यसभा में एक लिखित सवाल में पूछा गया था कि क्या सिविल सेवा परीक्षा के लिए सीसैट को हटाने का सरकार के पास कोई प्रस्ताव है ? इसके जवाब में कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय में राज्यमंत्री जितेन्द्र सिंह ने कहा, ‘‘नहीं ’’। यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार सिविल सेवा परीक्षा प्रणाली में परिवर्तन करने जा रही है, जिसमें साक्षात्कारों के स्थान पर मनोवैज्ञानिक परीक्षण किया जाना शामिल है, सिंह ने जवाब ‘‘ना’’ में दिया। एक अन्य सवाल के जवाब में सिंह ने उच्च सदन को बताया कि उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश या फैलोशिप हेतु प्रवेश परीक्षाओं का संचालन करने वाली राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) ने सूचित किया है कि ऐसी कोई प्रवेश परीक्षा नहीं है जिसका उसके पंजीकरण के एक वर्ष बाद भी संचालन नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी की स्थिति के कारण संयुक्त स्नातक स्तर परीक्षा- 2018 के टियर तीन के परिणामों की घोषणा करने में विलंब हुआ है। हालांकि परिणामों की घोषणा संबंधी प्रक्रिया को जल्द से जल्दा पूरा करने हेतु हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘कोविड-19 महामारी के कारण अप्रैल, 2020 माह से ही वर्ष 2020 हेतु परीक्षाओं की अधिसूचना जारी करने संबंधी समय अनुसूची को बनाए नहीं रखा जा सका है।’’
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