नीट पेपर लीक पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अगली तारीख गुरुवार (11 जुलाई) रखी है। इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि फर्जीवाड़ा करने वाले छात्रों की पहचान की जाए। राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) से सवाल किया गया है कि पहली बार पेपर कब लीक हुआ था। गुरुवार को होने वाली सुनवाई में एनटीए को इस सवाल का जवाब देना होगा। इसके साथ ही कोर्ट ने सरकार से कहा है कि एक्सपर्ट की एक टीम बनाई जानी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार (8 जुलाई) को नीट एग्जाम की कुल 38 याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इनमें से पांच याचिकाएं अलग-अलग राज्यों के हाई कोर्ट से ट्रांसफर होकर सुप्रीम कोर्ट में आई हैं। कई याचिकाओं में परीक्षा रद्द करने की मांग की गई है।
क्या है मामला?
पांच मई 2024 को नीट यूजी की परीक्षा आयोजित की गई थी। इसमें 571 शहरों के 4,750 परीक्षा केंद्रों पर लगभग 23 लाख परीक्षार्थी शामिल हुए थे। इस परीक्षा का परिणाम आने के बाद, प्रश्न पत्र लीक समेत कई अनियमितताओं के आरोपों के कारण ये विवाद के घेरे में आ गई। मामले की जांच सीबीआई के हाथ में है और मामला SC में भी चल रहा है, जिस पर अगली सुनवाई गुरुवार को होनी है। नीट पेपर लीक का मामला सड़क से लेकर संसद तक गरमाया हुआ है। मामले की जांच में एजेंसियां जुटी हुई हैं। इसको लेकर कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए। परीक्षा में गड़बड़ी के संबंध में अदालतों में भी कई मामले दायर किए गए। मामले की जांच में बिहार, गुजरात समेत कई जगहों से कई गिरफ्तारियां भी हुई हैं।
पेपर लीक हुआ यह तय है- सीजेआई
सोमवार को सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि पेपर लीक हुआ है, यह तो तय है। अब बस इतना पता लगाना है कि यह बड़े स्तर पर हुआ है या छोटे स्तर पर। अगर पेपर लीक ऑनलाइन हुआ है तो परीक्षा रद्द करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। वहीं, एनटीए ने यह मानने से इंकार किया कि पेपर लीक हुआ है और सरकार की तरफ से कहा गया कि परीक्षा रद्द होने से छात्रों को बड़ा नुकसान होगा।
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