नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि वह चिकित्सकों द्वारा दायर एक याचिका पर 12 जुलाई को सुनवाई करेगा। इस याचिका में चिकित्सकों ने देश में कोविड-19 के हालात के मद्देनजर उनकी विदेशी चिकित्सा स्नातक परीक्षा (एफएमजीई) को टालने को लेकर दायर याचिका को खारिज किये जाने के दौरान अदालत द्वारा की गई कुछ टिप्पणियों और जुर्माना लगाए जाने के आदेश को चुनौती दी है।
न्यायमूर्ति सी हरिशंकर और न्यायमूर्ति सुब्रमणियम प्रसाद की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि इस मामले पर अभी विचार किये जाने का कोई औचित्य नहीं है और मामले को नियमित पीठ के पास सुनवाई के लिये 12 जुलाई को सूचीबद्ध कर दिया। अदालत ने कहा, “आप सिर्फ जुर्माना और विपरीत टिप्पणियों को चुनौती दे रहे हैं, इसे रोस्टर बेंच (नियमित पीठ) के समक्ष सुनवाई के लिये आने दीजिए।”
याचिकाकर्ता, एसोसिएशन ऑफ एमडी फिजिशियंस, ने एकल न्यायाधीश की पीठ के 11 जून के आदेश को चुनौती देते हुए याचिका दायर की है। अदालत ने तब अपने आदेश में याचिका खारिज करते हुए 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था और कुछ विपरीत टिप्पणियां की थीं। याचिका में 18 जून को होने वाली परीक्षा को टालने का अनुरोध किया गया था। एसोसिएशन ने कहा था कि परीक्षा केंद्रों के रूप में सीमित शहरों को ही अधिसूचित किया जा रहा है और ऐसे में बड़ी संख्या में उम्मीदवारों को कोविड टीके की एक भी खुराक लिए बिना यात्रा करनी होगी।
इस संगठन के सदस्यों में कुछ विदेशी मेडिकल स्नातक भी हैं, जिन्होंने विदेशों में स्थित संस्थानों में अपना प्राथमिक मेडिकल पाठ्यक्रम पूरा किया है। एकल न्यायाधीश ने याचिका खारिज करते हुए कहा था कि इसमें कोई संदेह नहीं कि जून 2021 में एफएमजीई की परीक्षा कराने के फैसले के लिये राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (एनबीई) और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने मामले के सभी पहलुओं पर ध्यान दिया होगा।
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