कई पत्र लिखने और सभी से अनुरोध करने के तेरह साल के बाद बांदा के इस सरकारी हाई स्कूल के शिक्षकों और प्रिंसिपल ने आखिरकार खुद ही मदद करने का फैसला किया। स्कूल 2010 से बिना बिजली के चल रहा था और शनिवार को आखिरकार शिक्षकों और प्रिंसिपल की मदद से स्कूल में बिजली की व्यवस्था मिल गई है। 2010 से, स्कूल के छात्र कड़ाके की ठंड का सामना कर रहे थे और चिलचिलाती गर्मी से जूझ रहे थे। 12 कमरों की इमारत में बिजली कनेक्शन नहीं था। शिक्षकों ने प्रिंसिपल डॉ. रवि के साथ, बिजली के तार और ट्रांसफार्मर के भुगतान के लिए 1,50,000 रुपए एकत्र करने के लिए अपने वेतन से 25,000 रुपए का दान दिया।
जनप्रतिनिधियों को समस्या बताया लेकिन कोई सुनवाई नहीं
प्राचार्य ने कहा, "मैं यहां 2010 में ज्वाइन किया था, तब बिजली कनेक्शन नहीं था। मैं इस मुद्दे को लेकर जनप्रतिनिधियों, स्थानीय प्रशासन और बिजली विभाग के अधिकारियों के पास गया, मैंने जनप्रतिनिधियों को कम से कम 20 पत्र लिखे लेकिन सब व्यर्थ गए। सुविधा को 2010 में एक हाई स्कूल में अपग्रेड किया गया था लेकिन हमें बिजली का कनेक्शन नहीं दिया गया।" कुल राशि में से बिजली विभाग को कनेक्शन और ट्रांसफार्मर के एवज में 80 हजार रुपए का भुगतान कर दिया गया। शेष राशि का उपयोग 200 मीटर लंबी केबल खरीदने के लिए किया गया ताकि ट्रांसफॉर्मर से स्कूल में दूरी तय की जा सके और वायरिंग की जा सके।
10 साल बाद स्कूल में आई बिजली
प्रिंसिपल ने कहा, ट्रांसफार्मर 25 जनवरी को लगाया गया था, लेकिन शनिवार को यह चालू हो गया। वर्तमान में, इस स्कूल में 253 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं। शिक्षा विभाग ने हमें छत के पंखे प्रदान किए थे, लेकिन वे नहीं लगे क्योंकि हमारे पास बिजली नहीं थी। एक दशक से अधिक समय में पहली बार, उन्हें उपयोग में लाया जाएगा।
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