दिल्ली यूनिवर्सिटी यानी DU से PHD करने वाले स्टूडेंट्स को अब और मेहनत करनी होगी। दिल्ली यूनिवर्सिटी ने इस साल अपने पीएचडी कोर्सेज में कई नए बदलाव किए हैं। जिसमें "प्रसिद्ध और विश्वसनीय" पत्रिकाओं में कम से कम दो शोध पत्रों का प्रकाशन, बाहरी परीक्षकों के अलावा शोध पर्यवेक्षक द्वारा थीसिस का मूल्यांकन और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को पीएचडी करने के लिये छूट शामिल हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी Acadenic ईयर 2023-24 से 'नेशनल टेस्टिंग एजेंसी' (NTA) द्वारा आयोजित संयुक्त यूनिवर्सिटी प्रवेश परीक्षा (CUET-PHD) के माध्यम से छात्रों को पीएचडी कार्यक्रमों में दाखिला देगा। हालांकि, यूनिवर्सिटी में सेवारत शिक्षण और गैर-शिक्षण वर्ग सीधे इंटर्व्यू के लिए उपस्थित हो सकते हैं।
'बैठक के दौरान कई बदलावों को दी गई थी मंजूरी'
अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक, पिछले सप्ताह हुई कार्यकारी परिषद की बैठक के दौरान नए बदलावों को मंजूरी दी गई थी। दिल्ली यूनिवर्सिटी के साउथ कैंपस के निदेशक प्रकाश सिंह ने बताया, "हमने पीएचडी डिग्री देने के लिए न्यूनतम मानकों, प्रक्रियाओं में और नियमों में बहुत से संशोधन किए हैं। हमने एंट्रेंसी की प्रक्रिया में भी बदलाव किए हैं। अब PHD में एंट्रेंस CUET PHD के माध्यम से किए जाएंगे।"
'कम से कम दो शोध पत्र का प्रकाशन'
उन्होंने बताया कि इन संसोधनों में एक प्रावधान है कि एक पीएचडी स्कॉलर को थीसिस जमा करने से पहले UGC केयर सूचीबद्ध पत्रिकाओं में कम से कम दो शोध पत्र(Research Paper) शामिल करने चाहिए और एक पत्र या पुनर्मुद्रण के रूप में साक्ष्य प्रस्तुत करना चाहिए। सिंह ने कहा, "हमने विभागों से प्रसिद्ध और विश्वसनीय पत्रिकाओं की एक लिस्ट तैयार करने के लिए कहा है। यूनिवर्सिटी इन पत्रिकाओं में प्रकाशित पत्रों पर ही विचार करेगा।"
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