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Hindi News एजुकेशन दिल्ली यूनिवर्सिटी ने ग्रेजुएशन के नियमों में किया बदलाव, एडमिशन लेने से पहले जान लें ये बातें

दिल्ली यूनिवर्सिटी ने ग्रेजुएशन के नियमों में किया बदलाव, एडमिशन लेने से पहले जान लें ये बातें

दिल्ली यूनिवर्सिटी ने ग्रेजुएशन के कोर्सों के नियमों में बदलाव किया है। छात्र एडमिशन लेने से पहले ये जरूरी नियम जरूर पढ़ लें। बता दें कि डीयू ने पाठ्येतर गतिविधियों (ईसीए) और खेल कोटा के तहत ग्रेजुएशन कोर्सों में एडमिशन के नियमों में बदलाव किया है।

Delhi University- India TV Hindi Image Source : PTI Delhi University

अगर आप दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ना चाहते हैं और आप स्पोर्टर्स में दिलचस्पी भी रखते हैं तो ये खबर आपके लिए ही है। बता दें कि डीयू ने ने पाठ्येतर गतिविधियों (ईसीए) और खेल कोटा के तहत ग्रेजुएशन कोर्सों में एडमिशन के नियमों में बदलाव किया है। इसके मुताबिक किसी कॉलेज में कुल सुपरन्यूमेरी सीट के 20 प्रतिशत सीट पर इन कैटेगरी के तहत एडमिशन दिया जाएगा। डीयू के एक अधिकारी ने इसकी जानकारी दी है। जानकारी दे दें कि पिछले हफ्ते डीयू की कार्यकारी परिषद ने इस अहम कदम को मंजूरी दी थी। हालांकि, परिषद के सदस्यों ने ईसीए और खेल कोटा को सुपरन्यूमेरी सीट का 2.5-2.5 परसेंटेज वेडिंग देने की यूनिवर्सिटी की योजना को खारिज कर दिया।

ईसीए और खेल कोटा के तहत एडमिशन

अधिकारी की मानें तो एग्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्यों ने कहा कि ऐसे कई कॉलेज हैं, विशेष रूप से सभी महिला इंस्टिट्यूट, जहां सुपरन्यूमेरी सीट पर ज्यादातर दाखिला ईसीए कैटेगरी के तहत दिए जाते हैं, न कि खेल कोटा के तहत। सुपरन्यूमेरी सीट किसी कॉलेज के लिए एक्सेप्टेड सीट के अलावा होती हैं। सुपर सीटों पर दो श्रेणियां - ईसीए और खेल कोटा के तहत एडमिशन दिया जाता है। किसी कॉलेज में सुपर सीट की अधिकतम संख्या उसकी कुल सीट के 5 प्रतिशत तक होती है।

बाकी सीट पर कॉलेज लेगें फैसला

डीयू के अधिकारी ने बताया, "2.5 प्रतिशत का प्रस्ताव लाकर हम समानता लाना चाहते थे। लेकिन कुछ सदस्यों ने जानकारी दी कि ऐसे महिला कॉलेज हैं जहां सुपर सीट ईसीए कोटे के तहत भरी जाती हैं। इसलिए, हमने फैसला किया कि हर कैटेगरी के तहत कम से कम एक प्रतिशत का प्रतिनिधित्व अनिवार्य होगा और कॉलेज बाकी सीट पर फैसला कर सकता है।’’ उन्होंने कहा कि दोनों कैटेगरी के तहत सीटों की संख्या की गणना अब कोर्स-वाइस की जाएगी। पहले कॉलेज के लेवल पर इसकी कैलकुलेशन की जाती थी।

(इनपुट- पीटीआई)

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