Draupadi Murmu Birthday: 'झोपड़ी से रायसीना हिल्स तक का सफर', जानिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के जीवन की संघर्ष यात्रा
Draupadi Murmu Birthday: देश की 15वीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का आज 65वां जंमदिवस है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत तमाम बड़े-बड़े नेता उनको बधाई दे रहे हैं।
Draupadi Murmu Birthday: देश की 15वीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का आज यानी 20 जून 2023 को 65वां जंमदिवस है। इनका जंम ओडिशा के मयूरगंज जिले के बैदपोसी गांव में 20 जून 1958 को हुआ था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के जंमदिन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत तमाम बड़े-बड़े नेताओं ने उनको बधाई दी है और दे रहे हैं। वह आदिवासी समुदाय से आने वाली देश की पहली राष्ट्रपति हैं। वहीं, वह देश के शीर्ष पद पर पहुंचने वाली दूसरी महिला भी हैं।
देश के सर्वोच्च पद तक की राह द्रौपदी मुर्मू के लिए बिलकुल भी आसान नहीं थी। एक समय था जब आदिवासी परिवार से आने वालीं द्रौपदी मुर्मू झोपड़ी में रहती थीं। जिन्होंने अब 340 कमरों के आलीशान राष्ट्रपति भवन तक का सफर पूरा कर लिया है। ये सफर उनके लिए आसान नहीं था। यहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने बहुत सम्सयाओं का सामना किया। उन्होंने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया है, जिसके बाद देश के सर्वोच्च पद पर विराजमान हैं और लोगों के लिए एक मिसाल बन गई हैं।
इन घटनाओं ने तोड़ दिया था राष्ट्रपति मुर्मू को
वर्तमान राष्ट्रपति का शुरुआती जीवन बेहद संघर्षशील रहा। वे अपने गांव की पहली ऐसी लड़की थी जो ग्रेजुशन करने के बाद भुवनेश्वर तक पहुंची। हालांकि उन्होंने स्कूली पढ़ाई अपने गांव से ही की थी। कॉलेज के दौरान उनकी मुलाकात श्याम चरण मुर्मू से हुई। जिसके बाद दोनों के बीच प्रेम हुआ और फिर शादी कर ली। शादी में एक गाय, एक बैल और 16 जोड़ी कपड़े दिए गए। साल 2009 में उनके ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। इस साल उनके 25 वर्षीय बेटे की अचानक मौत हो गई।
इस रहस्यमयी मौत का खुलासा अब तक नहीं हो पाया है। इस क्रूर दर्द से वह निकल नहीं पाई थीं कि एक और बुरी खबर मिली। अब उनके दूसरे बेटे की एक रोड एक्सीडेंट में मौत हो गई। इसके अगले साल ही उनके पति की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। वह इन सब से बेहद टूट गई थीं। अब उनके परिवार में केवल उनकी बेटी इतिश्री मुर्मू हैं।
राजनीतिक सफर
राष्ट्रपति मुर्मू ने राजनीति में प्रवेश करने से पहले सिंचाई और बिजली विभाग में जूनियर असिस्टेंट के रूप में भी काम किया। इसके अलावा उन्होंने ऑनरेरी असिस्टेंट टीचर के रूप में काम किया था। राजनीति के करियर में 1997 में पहली बार चुनाव लड़ा और ओडिशा के राइरांगपुर जिले में पार्षद चुनी गईं। फिर 2000 में राइरांगपुर से विधानसभा चुनाव जीतने के बाद उनको सरकार में स्वतंत्र प्रभार का राज्यमंत्री बनाया गया। इसके बाद 2002 में ओडिशा सरकार में मत्स्य एवं पशुपालन मंत्री बनाया गया। इसके बाद साल 2009 में वे बीजेपी की टिकट पर फिर से विधानसभा चुनाव लड़ीं और जीतीं। उन्होंने 2009 में लोकसभा चुनाव भी लड़ा, लेकिन इसमें उन्हें सफलता नहीं मिल पाई।
साल 2015 में राष्ट्रपति मुर्मू को झारखंड का राज्यपाल बनाया गया। इसके बाद उन्होंने 2022 में देश के सर्वोच्च पद का पदभार संभाला। जिसके साथ वे देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति बनीं। आज के दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 65 वर्ष की हो गई हैं। उन्होंने अपने जीवन में आज जिस ख्याति को पाया है, उस तक रास्ते में बेहद संघर्ष भी झेला है।