अक्सर आपने देखा या फिर सुना होगा कि डॉक्टर पढ़ाई किसी और राज्य में करते हैं और फिर नौकरी के लिए दूसरे शहरों में शिफ्ट हो जाते हैं, लेकिन अब उत्तराखंड सरकार इसे लेकर सख्त नजर आ रही है। राज्य में सरकारी मेडिकल कॉलेजों से पीजी की पढ़ाई करने वाले डॉक्टर दो साल तक दूसरे राज्यों में नौकरी नहीं कर सकेंगे। राज्य में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी दूर करने के लिए सरकार यह व्यवस्था बनाई जा रही है।
मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट की ओर से प्रस्ताव
राज्य मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट की ओर से इस पर प्रस्ताव तैयार किया गया है जिस पर शासन विचार विमर्श कर रहा है। बता दें कि अभी उत्तराखंड में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों के 600 से ज्यादा पद खाली हैं। जिस वजह से मरीजों को इलाज के लिए दिक्कतें झेलनी पड़ रही है। इस परेशानी को देखते हुए सरकार ने स्पेशलिस्ट डॉक्टर बढ़ाने का फैसला किया। इसी के तहत पहले चरण में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति उम्र 60 साल से बढ़ाकर 65 साल की गई और इसके बाद अब पीजी करने वाले डॉक्टरों को भी राज्य में ही रोकने का प्लान बना रहे हैं।
मंजूरी के बाद योजना होगी लागू
सचिव चिकित्सा शिक्षा डॉ. आर राजेश कुमार ने इस बारे में कहा कि इस बारे में प्रस्ताव तैयार किया गया है। कैबिनेट की मंजूरी के बाद इस योजना को लागू किया जाएगा। अभी राज्य में पीजी की कुल 170 सीटें हैं। पढ़ाई पूरी करने के बाद एक साल में तकरीबन इतने ही स्पेशलिस्ट डॉक्टरों का बैच निकलेगा, ऐसे में दो से तीन सालों में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों के सभी पद भरने की उम्मीद है।
शर्तों में होगा बदलाव
इस मामले में अधिकारियों ने कहा कि प्रस्ताव के अनुसार, सरकार बांड की शर्तों में बदलाव करेगी। उसमें यह अनिवार्य किया जाएगा कि राज्य के कॉलेजों से पीजी करने वाले डॉक्टर पास होने के बाद कम से कम 2 साल तक राज्य के अस्पतालों में ही अपनी सेवा देंगे। इससे राज्य में काफी हद तक स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी दूर हो जाएगी।
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