नई दिल्ली। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद(अभाविप) तथा दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ ने दाखिला प्रकिया तथा छात्र संबंधित अन्य समस्याओं को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन के विरुद्ध प्रदर्शन किया। अभाविप लंबे समय से प्रशासन के सामने बातचीत एवं ज्ञापन के माध्यम से अपनी मांगें रख रही थी, परंतु उन मांगों पर किसी भी प्रकार की कोई कारवाई न होने पर छात्रों का रोष सड़कों पर दिखाई दिया।
दिल्ली विश्वविद्यालय आर्ट्स फैकल्टी के बाहर हुए विरोध प्रदर्शन में अभाविप ने 10 मांगें रखीं, जिनमें हर महाविद्यालय में और अधिक नोडल अफसरों के नंबर देने, नोडल अफसरों की फोन एवं ईमेल उपलब्धता सुनिश्चित कराने, ओबीसी तथा ईडब्ल्यू एस प्रमाणपत्र पुराना होने की परिस्थिति में अंडरटेकिंग के साथ छात्रों को दाखिला देने, रीवैल्यूएशन का परिणाम जारी करने, शोध छात्रों की 6 महीने से रुकी छात्रवृत्ति जारी करने इत्यादि मांगें प्रमुख थीं।
प्रदर्शन के बाद अभाविप दिल्ली तथा डूसू का एक प्रतिनिधिमंडल डिप्टी प्रॉक्टर, एडमिशन कमिटी के सदस्यों तथा डीन ऑफ स्टूडेंट्स वेलफेयर से मिला। उन्हें ज्ञापन सौंप कर अपनी मांगों से अवगत कराया। प्रशासन ने अभाविप तथा डूसू की अधिकतर मांगों को मानते हुए कुछ मांगों पर विचार हेतु दो दिन का समय मांगा है।
अभाविप दिल्ली के प्रदेश मंत्री सिद्धार्थ यादव ने कहा, "अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद एकमात्र ऐसा छात्र संगठन है जो लगातार हेल्प डेस्क लगाकर छात्रों की समस्याओं को सुन रहा है। हमने प्रशासन को दाखिला प्रक्रिया की वास्तविक स्थिति तथा छात्रों को आ रही समस्याओं से अवगत कराया। शीघ्र समाधान हेतु 10 मांगों को उनके सामने रखा, जिन पर क्रियान्वयन का प्रशासन ने हमें शीघ्र आश्वासन दिया है। अगर प्रशासन इन मांगों पर शीघ्र करवाई नहीं करता है तो विद्यार्थी परिषद को सड़कों पर आकर और अधिक उग्र प्रदर्शन करेगी।"
वहीं दिल्ली सरकार द्वारा स्टूडेंट्स सोसायटी फंड (एसएसएफ) का उपयोग वेतन देने के लिए करने के निर्णय के विरोध में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद तथा दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ ने संयुक्त रूप से विरोध प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के मुताबिक डीयू से सम्बद्ध राज्य सरकार द्वारा वित्तपोषित कॉलेजों में सैलरी का भुगतान खर्च राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाना चाहिए , लेकिन नियमों के विरुद्ध जाते हुए दिल्ली सरकार ने स्टूडेंट्स फंड से कर्मचारियों की सैलरी तथा अन्य व्यय को वहन करने का निर्देश कॉलेज प्राचार्यों को दिया है,जो कि सर्वथा अनुचित है।
एबीवीपी ने कहा, "यह निर्णय भविष्य में सरकारी कॉलेजों की फंड कटौती , छात्रों की विभिन्न गतिविधियों हेतु निर्धारित बजट का अनुचित उपयोग तथा फीस वृद्धि आदि करेगा ,जो कि छात्रों तथा शैक्षणिक संस्थानों के हितों के विरुद्ध है।"
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