नयी दिल्ली। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शुक्रवार को बताया कि दिल्ली स्कूल शिक्षा बोर्ड (डीबीएसई) को परीक्षा आयोजित करने और प्रमाण पत्र जारी करने के लिए शीर्ष निकाय से मंजूरी मिल गई है और यह अन्य मान्यता प्राप्त बोर्डों के समान हो गया है। इस कदम से डीबीएसई से संबद्ध स्कूलों के विद्यार्थी अन्य बोर्डों में प्रवेश ले सकेंगे और इसका प्रमाण पत्र उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश के लिए मान्य होगा।
सिसोदिया ने कहा, “इंटरनेशनल बैकलॉरिएट के साथ सहयोग हमारे बच्चों को विश्व स्तरीय मौकें प्रदान करेगा। सीओबीएसई और एआईयू की मंजूरी के साथ, डीबीएसई अध्ययन मूल्यांकन में बदलाव करने की तैयारी में है।” ‘कॉउंसिल ऑफ स्कूल एजुकेशन इन इंडिया’ (सीओबीएसई) की ओर से जारी पत्र के मुताबिक, “दिल्ली स्कूल शिक्षा बोर्ड को सीओबीएसई की सदस्यता प्रदान करने से इसके द्वारा आयोजित माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक परीक्षाएं और प्रमाण पत्र सीओबीएसई के अन्य सदस्य-बोर्डों के संबंधित प्रमाणपत्रों के समकक्ष होंगे।”
सीओबीएसई की जिम्मेदारी भारत में स्कूल शिक्षा बोर्डों की वास्तविकता/मान्यता का सत्यापन करना है। इससे पहले भारतीय विश्वविद्यालयों के संघ की संचालन परिषद (एआईयू) ने डीबीएसई के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी और डीबीएसई को सीबीएसई (केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड) एवं भारत के अन्य बोर्डों के समकक्षता देने का संकल्प दिया था। इन स्वीकृतियों के साथ, डीबीएसई स्कूलों से पास होने वाले छात्रों को सीबीएसई और अन्य मान्यता प्राप्त बोर्डों द्वारा जारी प्रमाण पत्र के समान ही सार्वभौमिक मान्यता और स्वीकृति प्राप्त होगी।
डीबीएसई द्वारा जारी अंक पत्रिका और प्रमाण पत्र सभी मान्यता प्राप्त बोर्ड और भारतीय विश्वविद्यालयों द्वारा स्वीकार किए जाएंगे। साल के शुरू में दिल्ली सरकार ने डीबीएसई के गठन को मंजूरी दी थी। वर्तमान शैक्षणिक वर्ष में 30 स्कूल डीबीएसई से संबद्ध हैं। अगले कुछ वर्षों में, दिल्ली के सभी सरकारी स्कूल डीबीएसई से संबद्ध हो जाएंगे, जिसने इंटरनेशनल बैकलॉरिएट (आईबी) के साथ साझेदारी में काम करना शुरू कर दिया है।
इसके अलावा, शहर के मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों के पास भी खुद को डीबीएसई से संबद्ध करने का विकल्प होगा। हाल में दिल्ली सरकार ने इंटरनेशनल बैकलॉरिएट (आईबी) बोर्ड के साथ एक सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह एक अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त बोर्ड है और 159 देशों के 550 स्कूलों में इसकी उपस्थिति है।
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