नई शिक्षा नीति का समयबद्ध क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध: धर्मेंद्र प्रधान
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शुक्रवार को कहा कि उनका ध्यान नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के उद्देश्यों को समयबद्ध तरीके से हासिल करने पर होगा।
नयी दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शुक्रवार को कहा कि उनका ध्यान नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के उद्देश्यों को समयबद्ध तरीके से हासिल करने पर होगा। प्रधान ने तीन नवनियुक्त शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी, सुभाष सरकार और राजकुमार रंजन सिंह के साथ एनईपी के कार्यान्वयन में प्रगति की समीक्षा की। मंत्रियों ने मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई), केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) जैसे स्वायत्त संस्थानों के प्रमुखों से भी बातचीत की।
धर्मेंद्र प्रधान ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘34 वर्षों के बाद, एक नई शिक्षा नीति पेश की गई है। एनईपी हमारी सरकार द्वारा 2014 में किए गए वादों का परिणाम है। आज हमारा प्राथमिक एजेंडा इसे जमीन पर उतारना है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आज, हमने देशभर में 30 करोड़ से अधिक विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य को सुनिश्चित करने और एनईपी के उद्देश्यों को समयबद्ध तरीके से प्राप्त करने के लिए चर्चा की। मैं नीति को धरातल पर लागू करने और अपने पूर्ववर्तियों द्वारा पहले से उठाये गये कदमों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हूं।’’
उन्होंने कहा कि वह सबसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों में से एक ऐसे मंत्रालय को सौंपे जाने के लिए आभारी हैं, ‘‘जिसका नेतृत्व मौलाना अबुल कलाम आजाद जैसे लोगों ने किया था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘देश में एक भी घर ऐसा नहीं है जिसके लिए शिक्षा महत्वपूर्ण न हो और इस क्षेत्र को दिशा देने की बड़ी जिम्मेदारी इस कार्यालय की है। भारत औद्योगिक क्रांति 4.0 में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। अगले दो वर्षों में भारत 100 प्रतिशत इंटरनेट से जुड़ा होगा और एनईपी 2020 के जरिये देश ‘सब का साथ, सब का विकास और सब का विश्वास’ हासिल करेगा।’’
बता दें कि, प्रधान के पास कौशल विकास और उद्यमिता विभाग भी है, जबकि राजकुमार रंजन सिंह विदेश राज्य मंत्री भी हैं। प्रधान ने कहा, ‘‘शिक्षा और विदेश मामलों का एक मजबूत संबंध है और विदेश मंत्रालय में सिंह की भागीदारी मंत्रालयों और विद्यार्थियों दोनों के लिए फायदेमंद होगी।’’ उन्होंने कहा कि भारतीय युवाओं को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है- औपचारिक शिक्षा, आंगनवाड़ी प्रणाली और जो कौशल बल का हिस्सा हो सकते हैं।