नई दिल्ली। कोरोना वायरस ने हर चीज़ को प्रभावित किया और इस महामारी से गणतंत्र दिवस भी अछूता नहीं रहा। गणतंत्र दिवस की परेड देखने के लिए हर साल बच्चे राजपथ पहुंचते हैं लेकिन इस बार वे परेड नहीं देख सके। इस बार बच्चों को परेड घरों में टीवी पर देखनी पड़ी। उन्हें इस बार स्कूलों में भी सांस्कृतिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने का मौका नहीं मिला, क्योंकि कोरोना वायरस की वजह से स्कूल बंद हैं। चंद स्कूलों ने गणतंत्र दिवस पर ऑनलाइन निबंध प्रतियोगिता और प्राथमिक कक्षाओं के लिए झंडे मे रंग भरने जैसी गतिविधियों का आयोजन किया था।
कोविड-19 महामारी के मद्देनजर, इस बार परेड देखने वालों की तादाद को भी कम किया गया है। पहले 1.5 लाख लोग परेड देखने पहुंचते थे लेकिन इस बार सिर्फ 25,000 लोगों को ही राजपथ पर परेड देखने की इजाजत दी गई है। 15 साल से कम उम्र के बच्चों को राजपथ पर प्रवेश की अनुमति नहीं दी है। कुछ बच्चे अपने माता-पिता के साथ परेड देखने पहुंचे थे लेकिन उन्हें सुरक्षा बलों ने उन्हें वापस भेज दिया। उन्हें नियम की जानकारी नहीं थी। परेड में सांस्कृतिक कार्यक्रम में जिन बच्चों ने हिस्सा लिया, उनके के भाई-बहन उनकी प्रस्तुति नहीं देख पाए।
बारह साल की श्रुतिका ने कहा, " मैं अपने माता-पिता और बड़े भाई के साथ आई थी लेकिन अब वे मुझे प्रवेश की इजाजत नहीं दे रहे हैं। मैं परेड को लेकर बहुत उत्साहित थी। मैंने प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए मास्क लगाया हुआ है और दस्ताने पहने हुए हैं। चूंकि मैं नहीं जा सकती हूं तो मेरे माता-पिता भी मेरे साथ वापस जा रहे हैं।" उनके पिता राम भार्गव ने कहा, " अगर उसे (श्रुतिका को) प्रवेश की इजाजत नहीं थी तो उन्होंने क्यों पास जारी किया? तब तो हमसे किसी ने कुछ नहीं कहा। मेरी पुलिस कर्मियों के साथ बहस भी हुई लेकिन उन्होंने अनुमति नहीं दी।"
अभिनव शुक्ला (7) ने कहा, " मैं परेड देखने के लिए साल भर से इंतजार कर रहा था लेकिन वायरस की वजह से वे बच्चों को (राजपथ पर) परेड देखने की अनुमित नहीं दे रहे हैं। मैंने अब टीवी पर परेड देखी। परेड में मेरा पसंदीदा हिस्सा झांकियां और सैन्य प्रदर्शन है। " पांच वर्षीय शिवांग शुक्ला ने बताया, " मैं आमतौर पर स्कूल के कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए स्वतंत्रता सैनानी जैसे कपड़े पहनता था या देशभक्ति वाले नृत्य में हिस्सा लेता था लेकिन इस साल हमसे (टीवी पर) परेड देखने और इस पर निबंध लिखने को कहा गया।"
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