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Hindi News एजुकेशन NCERT की किताबों में बड़ा बदलाव, बाबरी मस्जिद का जिक्र नहीं, अयोध्या विवाद भी 2 पेज में सिमटा, निदेशक ने कही ये बात

NCERT की किताबों में बड़ा बदलाव, बाबरी मस्जिद का जिक्र नहीं, अयोध्या विवाद भी 2 पेज में सिमटा, निदेशक ने कही ये बात

एनसीईआरटी (NCERT) की नई रिवाइज्ड किताबों में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। इसमें बाबरी मस्जिद का जिक्र ही नहीं किया गया है बल्कि उसकी जगह तीन गुंबद वाली संरचना का जिक्र है।

 Dinesh Prasad Saklani- India TV Hindi Image Source : FACEBOOK/NCERTOFFICIAL NCERT के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी

नई दिल्ली: एनसीईआरटी (NCERT) की नई रिवाइज्ड किताबें बाजार में आ चुकी हैं। इसमें कई तरह का बदलाव किया गया है। किताबों में अयोध्या विवाद, बाबरी मस्जिद और गुजरात दंगों के संदर्भ में बदलाव किए गए हैं। कक्षा 12 की राजनीति विज्ञान की संशोधित किताब में बाबरी मस्जिद का जिक्र नहीं है। बाबरी मस्जिद की जगह 'तीन गुंबद वाली संरचना' का जिक्र किया गया है। वहीं अयोध्या विवाद के टॉपिक को 4 पेज की जगह 2 पेज का कर दिया गया है। गुजरात दंगों से संबंधित संदर्भों को भी हटाया गया है और किताब में कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक विवरण हटा दिए गए हैं।

क्या-क्या बदला या हटाया गया?

  • बाबरी मस्जिद की जगह तीन गुंबद वाली संरचना का जिक्र किया गया है।
  • अयोध्या विवाद से जुड़े टापिक्स 4 पेज की जगह 2 पेज में समेट दिए गए हैं।
  • बीजेपी की रथ यात्रा: सोमनाथ से अयोध्या तक की यात्रा का जिक्र नहीं है।
  • कार सेवक: 1992 की घटनाओं में स्वयंसेवकों की भूमिका हटा दी गई है।
  • सांप्रदायिक हिंसा: 6 दिसंबर 1992 को विध्वंस के बाद हुई हिंसा के संदर्भ हटा दिए गए हैं।
  • राष्ट्रपति शासन: भाजपा शासित राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाने को बाहर रखा गया है।
  • बीजेपी का अफसोस: अयोध्या की घटनाओं पर बीजेपी के अफसोस वाले बयानों को हटा दिया गया है।
  • गुजरात दंगों से संबंधित संदर्भों को हटाया गया है।
  • हुमायूं, शाहजहां, अकबर, जहांगीर और औरंगजेब जैसे मुगल सम्राटों की उपलब्धियों का विवरण देने वाली दो पेज की तालिका भी हटा दी गई है।

NCERT के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी क्या बोले?

NCERT के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी ने न्यूज एजेंसी PTI से किताबों में हुए बदलाव को लेकर बात की। सकलानी ने स्कूली सिलेबस के भगवाकरण के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि गुजरात दंगों और बाबरी मस्जिद विध्वंस के संदर्भों को स्कूल की किताबों में संशोधित किया गया क्योंकि दंगों के बारे में पढ़ाना हिंसक और निराश नागरिकों को पैदा कर सकता है। पाठ्यक्रम का भगवाकरण करने का कोई प्रयास नहीं किया गया है, सब कुछ तथ्यों और सबूतों पर आधारित है।

सकलानी ने कहा कि किताबों में बदलाव सालाना संशोधन का हिस्सा हैं और इसे शोर-शराबे का विषय नहीं बनाया जाना चाहिए। एनसीईआरटी की किताबों में गुजरात दंगों या बाबरी मस्जिद विध्वंस के संदर्भ में बदलाव के बारे में पूछे जाने पर सकलानी ने कहा, 'हमें स्कूली किताबों में दंगों के बारे में क्यों पढ़ाना चाहिए? हम सकारात्मक नागरिक बनाना चाहते हैं, न कि हिंसक और अवसादग्रस्त व्यक्ति।'

उन्होंने कहा, 'क्या हमें अपने छात्रों को इस तरह से पढ़ाना चाहिए कि वे आक्रामक हो जाएं, समाज में नफरत पैदा करें या नफरत का शिकार बनें? क्या यह शिक्षा का उद्देश्य है? क्या हमें ऐसे छोटे बच्चों को दंगों के बारे में पढ़ाना चाहिए। जब वे बड़े होंगे, तो वे इसके बारे में सीख सकेंगे यह लेकिन स्कूल की किताबों में क्यों? उन्हें बड़े होने पर यह समझने दें कि क्या हुआ और क्यों हुआ, बदलावों के बारे में हंगामा अप्रासंगिक है।' (इनपुट: अनामिका गौर और PTI से भी)

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