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देश में हर साल 80 लाख नौकरी देने की जरूरत, बोले चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर

चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर ने कहा कि देश में हर साल 80 लाख नौकरी भरने की जरूरत है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सरकार विकास के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए आशावादी है।

चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर- India TV Hindi Image Source : PTI चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर

भारत को हर साल 80 नौकरी सृजित करने की जरूरत है। ये कहना है देश के चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर नागेश्वरन का, साथ ही उन्होंने कहा कि हम विकास दर का अनुमान लगाने में विवेकपूर्ण होना चाहते हैं, इसीलिए हमने वित्त वर्ष 24 में देश की आर्थिक वृद्धि दर 6.5 से 7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। 7 प्रतिशत की विकास दर हासिल करना संभव है, लेकिन यह मानसून के प्रोग्रेस पर निर्भर करेगा।

सरकार विकास की तरफ आशावादी

चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर ने कहा कि सरकार देश के विकास के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए आशावादी है, साथ ही वह इन चुनौतियों के प्रति भी सचेत है, जिनमें अप्रत्याशित मौसम पैटर्न, विकसित अर्थव्यवस्थाओं में बढ़ते वित्तीय बाजार जोखिम और जटिल भू-राजनीतिक परिदृश्य शामिल हैं।

कौन है नागेश्वरन?

जानकारी दे दें कि वेंकटरमन अनंथा नागेश्वरन एक भारतीय अर्थशास्त्री और भारत सरकार के 18वें मुख्य आर्थिक सलाहकार हैं। इनका जन्म  1963 में हुआ। नागेश्वरन ने एशिया के लिए हेड रिसर्च के रूप में कार्य करने के बाद स्विट्जरलैंड में बैंक जूलियस बेयर में चीफ इंवेस्टमेंट ऑफिसर के रूप में काम किया। इससे पहले, उन्होंने स्विट्जरलैंड और सिंगापुर में क्रेडिट सुइस और यूनियन बैंक ऑफ़ स्विट्जरलैंड (अब यूबीएस) के लिए काम किया था। वहीं, उन्होंने आईएफएमआर ग्रेजुएट स्कूल ऑफ बिजनेस के डीन के रूप में, सिंगापुर मैनेजमेंट यूनिवर्सिटी में ग्रेजुएट छात्रों के लिए प्रोफेसर के रूप में और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ, बैंगलोर और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ इंदौर में भी काम किया है।

जारी हुई आर्थिक समीक्षा

वहीं, जारी की गई आर्थिक समीक्षा में भी कहा गया कि सालाना 78.5 लाख नौकरियां भरने की जरूरत है। संसद में सोमवार को पेश 2023-24 की आर्थिक समीक्षा में कहा गया कि बढ़ते वर्कफोर्स को देखते हुए नॉन-एग्रीकल्चर सेक्टर में 2030 तक सालाना औसतन 78.5 लाख नौकरियां सृजित करने की जरूरत है। बता दें तकि समीक्षा में नौकरियों की संख्या का एक व्यापक अनुमान दिया गया है।

कामकाजी उम्र में नौकरी की तलाश

समीक्षा में कहा गया कि कामकाजी उम्र में हर कोई नौकरी की तलाश नहीं करेगा। उनमें से कुछ खुद का रोजगार करेंगे और कुछ एम्पलॉयर भी होंगे। आर्थिक वृद्धि नौकरियों से ज्यादा करियर पैदा करने के बारे में है। इसके लिए सभी स्तर पर सरकारी और निजी क्षेत्र को मिलकर कोशिश करनी होगी। इसमें कहा गया है कि वर्कफोर्स में एग्रीकल्चर सेक्टर की हिस्सेदारी धीरे-धीरे घटकर 2047 में 25 प्रतिशत रह जाएगी, जो 2023 में 45.8 प्रतिशत थी।

2030 तक नौकरियां सृजित करने की जरूरत

समीक्षा में आगे कहा गया है, "भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ते वर्कफोर्स की जरूरतों को पूरा करने के लिए नॉन-एग्रीकल्चर सेक्टर में 2030 तक सालाना औसतन लगभग 78.5 लाख नौकरियां सृजित करने की जरूरत है।" इसमें सुझाव दिया गया है कि नॉन-एग्रीकल्चर सेक्टर में हर साल 78.5 लाख नौकरियों की मांग में पीएलआई योजना (5 वर्षों में 60 लाख रोजगार सृजन), मित्र कपड़ा स्कीम (20 लाख रोजगार सृजन) और मुद्रा जैसी मौजूदा योजनाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।

(इनपुट- PTI)

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