अक्सर देखा गया कि छात्र इस बात से परेशान रहते हैं कि किस विषय से ग्रेजुएशन करें या किस विषय से न करें। वे दिन-रात कन्फ्यूज रहते हैं कि ऐसा कौन से सब्जेक्ट से ग्रेजुएशन करें कि लाइफ में पछताना न पड़े। इसके लिए वे दिन-रात गूगल पर सर्च करते हैं या फिर अपने यार-दोस्तों से पूछते हैं। इसके बाद भी वे ग्रेजुएशन के बाद परेशान होकर कहते हैं कि अरे यार मैंने गलत विषय ले लिया, मुझे दूसरा वाला विषय चुनना था। फिर वो सोचते है कि अब इस सब्जेक्ट से ग्रेजुएशन तो नहीं हो सका तो क्या पोस्टग्रेजुएशन में ले सकते हैं? ऐसे ही हमने गूगल पर ये सवाल देखा कि लोग अभी भी इस बात को लेकर परेशान है कि क्या ग्रेजुएशन के बाद पोस्ट ग्रेजुएशन में सब्जेक्ट चेंज हो सकते है? फिर हमने सोचा कि क्यों न इसका उत्तर आपको बताया जाए। तो चलिए आज इसकी हकीकत जान लेते हैं....
प्रोफेसर भूपेंद्र ने क्या कहा?
कभी-कभी कुछ बच्चों के साथ ऐसा होता है कि उनका पैशन कुछ और होता है लेकिन समाज व परिवार के दबाव में आकर वे किसी दूसरे विषय से ग्रेजुएशन कर लेते हैं। इसके बाद वे पोस्टग्रेजुएशन में आने के बाद सोचते हैं कि इस विषय के साथ पीजी हो सकता है क्या? छात्रों के इस सवाल को लेकर हमने मेरठ की चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट वेलफेयर के डीन प्रोफेसर भूपेंद्र से बात की। उन्होंने बताया कि अक्सर समाज के दबाव में आकर ऐसा करते है फिर उनका मन बदलता है और वे पोस्टग्रेजुएशन में कोई और स्ट्रीम या विषय चुनना चाहते हैं। उन्होंने आगे कहा कि साइंस स्ट्रीम के छात्र पीजी में आर्ट या कॉमर्स स्ट्रीम के विषय चुन सकते हैं, पर आर्ट या कॉमर्स स्ट्रीम के छात्र साइंस स्ट्रीम के सब्जेक्ट से पोस्टग्रेजुएशन नहीं कर सकते हैं।
5 प्रतिशत नंबर होते हैं कम
प्रोफेसर ने आगे कहा कि छात्र अगर अपना विषय चेंज करते हैं तो हमारे कैंपस में 5% नंबर कम कर दिए जाते हैं, जबकि अन्य कॉलेजों में उन्हें इसकी छूट होती है। प्रोफेसर ने आगे कहा कि छात्र अगर फीजिक्स, केमेस्ट्री या फिर जूलॉजी या बॉटनी से ग्रेजुएट हैं तो वे जर्नालिज्म, हिन्दी, अंग्रेजी, हिस्ट्री इत्यादि कोई भी आर्ट स्ट्रीम का विषय चुन सकते हैं। जबकि आर्ट स्ट्रीम वाले साइंस जैसे फिजिक्स, केमेस्ट्री या जूलॉजी सब्जेक्ट नहीं चुन सकते हैं।
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