नई दिल्ली: दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बृहस्पतिवार को सुझाव दिया कि नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) की शुरुआत होने के बाद कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं बंद कर दी जानी चाहिए. सिसोदिया ने साथ ही यह सुझाव भी दिया कि सरकार को बहु-वर्षीय चरण-वार कक्षाएं और प्रत्येक चरण के अंत में बाहरी मूल्यांकन शुरू करना चाहिए. उन्होंने यह सुझाव केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' की अध्यक्षता में आयोजित राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की 57वीं आम परिषद की बैठक के दौरान दिये. इस बैठक में राज्य के शिक्षा मंत्रियों ने हिस्सा लिया.
सिसोदिया ने कहा कि एनईपी में ‘5 + 3 + 3 + 4' मॉडल की सिफारिश की गई है और यह मॉडल अपनी पूर्ण क्षमता प्राप्त कर सकता है, यदि मौजूदा एक वर्ष प्रति ग्रेड सिस्टम को हटा दिया जाए. उन्होंने कहा, ‘‘इसका मतलब है, मौजूदा कक्षा प्रणाली के बजाय जिसमें एक कक्षा के सभी बच्चे अलग-अलग सीखने के स्तर पर होने के बावजूद सभी विषयों में एक साथ आगे बढ़ते हैं, बहु-वर्षीय चरण बच्चे को विभिन्न विषयों को सीखने की जरूरत के अनुसार उसकी गति से आगे बढ़ने में मदद करेगा. ज्ञान, कौशल और मूल्यों के संदर्भ में स्पष्ट रूप से उल्लेखित सीखने के लक्ष्य वाला एक योग्य पाठ्यक्रम बनाया जाए.''
उन्होंने कहा, ‘‘एनईपी की पूर्ण रूप से शुरुआत के बाद, कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा भी बंद कर दी जानी चाहिए. मौजूदा बोर्ड परीक्षा 10 + 2 मॉडल में तो ठीक है लेकिन 5 + 3 + 3 + 4 में इसका कोई मतलब नहीं. अंतिम चरण में दो बोर्ड परीक्षाएं बरकरार रहने से बच्चों के स्कूली जीवन में पहले तीन चरणों का महत्व कम होगा.''
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