देश भर के डॉक्टरों के लिए एक बड़ी खबर सामने आ रही है। मीडिया में चल रही खबरों के अनुसार बहुत जल्द देश भर के डॉक्टरों को बॉन्ड पॉलिसी (Bond Policy) से निजात मिलने वाली है। डॉक्टर्स इस पॉलिसी को लेकर काफी समय से आवाज उठा रहे हैं और चाह रहे हैं कि सरकार इसे खत्म करे। हालांकि, अब खबर सामने आ रही है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) की सिफारिशों के आधार पर बहुत जल्द यह बॉन्ड पॉलिसी खत्म कर देगा।
क्या है बॉन्ड पॉलिसी जिससे छुटकारा पाना चाहते हैं डॉक्टर्स
बॉन्ड पॉलिसी, एक ऐसी नीति है जिसके तहत डॉक्टरों को अपनी अंडरग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट की डिग्री पूरी करने के बाद राज्य के हॉस्पिटलों में एक निश्चित समय के लिए अपनी सेवा देने की जरूरत होती है। सबसे बड़ी बात की अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें राज्य या फिर मेडिकल कॉलेज को जुर्माना देना होता है। इस जुर्माने की राशि पहले से तय होती है। जैसे गोवा, राजस्थान, तमिलनाडु जैसे राज्यों में MBBS के लिए लगभग 5 लाख रुपए की बॉन्ड नीति है। वहीं उत्तराखंड में 1 करोड़ की बॉन्ड नीति है।
सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा था बॉन्ड नीति
अगस्त 2019 में जब इस पर देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी तो अदालत ने अपना फैसला देते हुए राज्यों की इस बॉन्ड नीति को बरकरार रखा था। इसके साथ ही यह सुझाव भी दिया कि तत्कालीन मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को चाहिए कि वह सरकारी संस्थानों में प्रशिक्षित डॉक्टरों द्वारा दी जाने वाली अनिवार्य सेवा के संबंध में एक समान नीति बनाए जो सभी राज्यों में एक समान लागू हो। सुप्रीम कोर्ट के ही निर्देश पर 2019 में इसके लिए स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के चीफ एडवाइजर डॉ. बी. डी. अथानी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया। इस समिति ने मई 2020 में अपनी रिपोर्ट नेशनल मेडिकल कमीशन को सौंप दिया था। इसके बाद से ही एनएमसी इस पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से बात-चीत कर रही है।
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