शिमला। हिमाचल प्रदेश में स्पीति घाटी के छोटे-छोटे इलाकों, कस्बों में रहने वाले सैकड़ों प्राथमिक छात्रों के लिए कहानी की किताबों ने एक तरह से नई दुनिया के दरवाजे खोल दिए हैं। उनकी जिज्ञासा को शांत करने के प्रयास का श्रेय दिल्ली स्थित एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) को जाता है जिसने चित्रों और कहानी की किताबों के माध्यम से इन बच्चों को एकदम नई दुनिया से परिचित कराया और उनमें पढ़ने की आदत डाली।
यह ऐसे समय में हुआ है जब छोटे बच्चों को कोरोनोवायरस के डर के कारण अपने घरों में ही रहना पड़ रहा है या सार्वजनिक रूप से बाहर निकलने को लेकर उन पर एक तरह से रोक है। एनजीओ 'लेट्स ओपन ए बुक' के पदाधिकारी मानते हैं कि कहानी की किताबें उपलब्ध कराने से बच्चों को घर पर सुरक्षित रहने के दौरान नई परिस्थितियों के बीच खुद को ढालने में मदद मिलेगी।
एनजीओ की संस्थापक व प्रबंध ट्रस्टी रूचि धोना ने आईएएनएस को बताया, "चूंकि मार्च 2020 से स्कूलों को बंद करने के कारण छात्र कक्षाओं में शामिल नहीं हो पा रहे हैं, इसलिए हमने कक्षा पांच के छात्रों को क्षेत्र के प्रशासन की मदद से कहानी की किताबें उपलब्ध कराने का फैसला किया है।"
स्पीति घाटी में बच्चों के लिए कहानी की किताबें अंग्रेजी, हिंदी और स्थानीय तिब्बती भाषाओं में हैं, जहां अधिकांश निवासी जनजातीय और बौद्ध हैं।600 छात्रों के लिए पुस्तकालयों को स्थापित करने के जरिए एनजीओ स्पीति में 60 सरकारी स्कूलों पर काम कर रहा है। एनजीओ ने अब तक 6,000 किताबें दान की हैं।
इसने राज्य की राजधानी शिमला से लगभग 350 किलोमीटर दूर, काजा में एक सार्वजनिक पुस्तकालय भी अपनाया है और वहां बच्चों के लिए एक कॉर्नर की व्यवस्था की है। एनजीओ के स्वयंसेवक चेमी ल्हामो ने कहा कि छात्रों को उनके घर पर किताबें उपलब्ध कराने का उद्देश्य सुरक्षित रहने के दौरान उन्हें पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना है
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