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Hindi News एजुकेशन School Exam: किस क्लास के बाद स्कूलों को लेना चाहिए रिटन एग्जाम? NCF ने रिपोर्ट में दी जानकारी

School Exam: किस क्लास के बाद स्कूलों को लेना चाहिए रिटन एग्जाम? NCF ने रिपोर्ट में दी जानकारी

एनसीएफ ने नई एजुकेशन पॉलिसी को लेकर अपनी रिपोर्ट पेश कर दी है। इस रिपोर्ट में एनसीएफ ने छोटे बच्चों को लेकर गंभीरता दिखाई है। एनसीएफ ने इस रिपोर्ट में सलाह दी है कि छोटे बच्चों के रिटन एग्जाम क्लास 3 से शुरू होने चाहिए।

NCF Report- India TV Hindi Image Source : PIXABAY एनसीएफ ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि क्लास 3 से बच्चों के रिटन एग्जाम होने चाहिए।

नई दिल्ली: आजकल हम चारों ओर से कंपटिशन से घिर चुके हैं चाहे वह प्ले स्कूल की बात हो या नौकरी के लिए कंपटेटिव एग्जाम। हम बस दूसरों से आगे निकलने की होड़ में लग जाते हैं। इनमें आने वाली तमाम तरह के प्रेशर भी छोटे-छोटे बच्चों को भी झेलने पड़ते हैं। सरकार इसे लेकर अब संजीदा नजर आने लगी है। सरकार के तरफ से नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क यानी NCF ने इसके लिए जमीनी मसौदा तैयार किया है। एनसीएफ ने एक स्पेशल रिसर्च की और पाया कि छोटे बच्चों पर परीक्षा से दबाव बढ़ रहा है। इसके बाद एनसीएफ ने रूपरेखा तैयार की जिसमें बताया कि लिखित परीक्षा क्लास 3 से शुरू होने चाहिए।

दूसरी कक्षा तक के बच्चों की परीक्षा लेना अनुपयुक्त

एनसीएफ ने अपनी रिपोर्ट में दूसरी कक्षा तक के बच्चों के मूल्यांकन के लिए परीक्षा को पूरी तरह से गलत करार दिया और सलाह देते हुए बताया कि इससे बच्चों पर मानसिक दबाव बढ़ रहा है, इसलिए लिखित परीक्षा कक्षा 3 से शुरू होने चाहिए। एनसीएफ ने मसौदे में बताया कि मूल्यांकन की पद्धति ऐसी होनी चाहिए, जिससे बच्चों पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़े। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के मुताबिक तैयार किए जा रहे एनसीएफ के मसौदे में यह भी बताया गया कि बच्चों के मूल्यांकन के लिए दो जरूरी पद्धतियां बुनियादी स्तर पर बच्चों के आकलन और सीखने के दौरान अहम हिस्सा है। इसमें यह भी कहा गया है कि स्पेशल टेस्ट और एग्जाम बुनियादी स्तर अर्थात दूसरी कक्षा तक के बच्चों के मूल्यांकन के लिए पूरी तरह से गलत हैं।

विविधता को बढ़ावा देने की जरूरत

एनसीएफ ने कहा कि बच्चों के बीच और उनके पठन-पाठन के दौरान मूल्यांकन में विविधता को बढ़ावा देने की जरूरत है, ऐसा इसलिए क्योंकि बच्चे अलग-अलग तरीके से सीखते हैं और अलग तरीके से उसे व्यक्त करते हैं। मसौदे के मुताबिक, सीखने एवं सीखने की क्षमता संबंधी उपलब्धता का मूल्यांकन करने के तरीके भिन्न हो सकते हैं। ऐसे में टीचर को एक समान सीखने के रिजल्ट के मूल्यांकन के लिए कई प्रकार की पद्धति तैयार करनी चाहिए। इसमें बताया गया है कि मूल्यांकन को रिकार्ड एवं दस्तावेज करने योग्य होना जरूरी है। एनसीएफ कहा कि तीसरी से पांचवी कक्षा के स्तर पर लिखित परीक्षा पेश की जानी चाहिए।

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