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Hindi News एजुकेशन 'महिलाओं की शिक्षा से प्रजनन क्षमता घटती है क्यों?' MPSC प्री एग्जाम में आया अजीबोगरीब सवाल

'महिलाओं की शिक्षा से प्रजनन क्षमता घटती है क्यों?' MPSC प्री एग्जाम में आया अजीबोगरीब सवाल

MPSC प्रीलिम्स एग्जाम में छात्रों से अजीबोगरीब सवाल पूछा गया। प्रीलिम्स में आयोग ने पूछा कि 'महिलाओं की शिक्षा से प्रजनन क्षमता घटती है क्यों?' इस सवाल के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर आयोग ट्रोल हो रहा।

MPSC- India TV Hindi Image Source : SOCIAL MEDIA MPSC

महाराष्ट्र पब्लिक सर्विस कमीशन यानी MPSC ने 1 दिसंबर को प्रीलिम्स का एग्जाम आयोजित किया। इस प्रीलिम्स एग्जाम में एक अजीबोगरीब सवाल पूछा गया, जिसको लेकर अब सोशल मीडिया पर हंगामा मचा हुआ है। इस सवाल को लेकर छात्र और एक्सपर्ट सभी आयोग से सवाल कर रहे हैं कि ऐसा कैसे पूछा जा सकता है? छात्र सोशल मीडिया पर आयोग से सवाल कर रहे हैं कि आखिर महिलाओं के बारे में ऐसे सवाल पर उनका क्या स्टैंड है?

क्या पूछा गया सवाल?

MPSC ने प्रीलिम्स में सवाल पूछा कि 'महिलाओं की शिक्षा से प्रजनन क्षमता घटती है, इसका कारण है...' इस सवाल के जवाब में उन्होंने 4 ऑप्शन भी दिए।

  • शिक्षा महिलाओं के लिए काम के मौके बढ़ाती है।
  • पढ़ी-लिखी महिलाएं चाहती हैं कि उनके बच्चे भी शिक्षित हों।
  • शिक्षा और साक्षरता महिलाओं को गर्भनिरोधक के बारे में जानकार बनाती है। 
  • महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।

उत्तर के लिए ऑप्शन दिए गए

1. a और b 2. केवल c 3. b और d 4. c और d 

MPSC मांफी मांगे- कांग्रेस सांसद 

पूर्व राज्य शिक्षा मंत्रीव कांग्रेस सासंद वर्षा गायकवाड़ ने इसे लेकर सवाल भी आयोग पर हमला बोला। उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, MPSC का यह सवाल मनुवादी विचार को बढ़ावा देता है, जिससे महिलाएं केवल अपने गर्भ तक सीमित रहें। इससे पहले कि कोई यह टिप्पणी करे कि यह केवल व्याकरण संबंधी त्रुटि और गलत अनुवाद है, कृपया ध्यान रखें कि यह हमारे प्रगतिशील राज्य के भावी प्रशासकों को चुनने के लिए आयोजित एक परीक्षा है जिसने हमेशा छत्रपति शिवाजी महाराज और शाहू-फुले-अंबेडकर के आदर्शों का पालन किया है, क्या ऐसी भाषा स्वीकार्य है? एमपीएससी को बिना शर्त माफी मांगनी चाहिए और इस पेपर को तैयार करने और जारी करने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। 

छात्रों ने भी जताई आपत्ति

आगे छात्रों ने भी इसे लेकर कहा, 'आश्चर्य की बात है... आयोग ने ऐसा कंक्‍लूडिंग स्‍टेटमेंट दिया और फिर उसका कारण भी पूछा। ये कहना एक बात है कि एजुकेशन, पॉपल्यूशन कंट्रोल का उपाय है। लेकिन वुमेन के एजुकेशन को फर्टिल‍िटी से जोड़ना एकदम अलग। यह बेहद दुखद है कि आयोग की मानसिकता वुमेन एजुकेशन को लेकर इतनी पिछड़ी हुई है।'

आयोग ने दी सफाई

इसे लेकर आयोग की तरफ से भी बयान आया है कि हमें सवाल की जानकारी नहीं थी। मामला तूल पकड़ने के बाद आयोग की सचिव सुवर्णा करात ने एक मीडिया ग्रुप से बात की और कहा कि परीक्षा के लिए पेपर एक्सपर्ट्स के एक पैनल द्वारा तैयार किया गया था। MPSC के किसी भी अधिकारी और खुद उन्‍हें भी एग्जाम के दिन तक प्रश्नों की जानकारी नहीं रहती। हालांकि उन्‍होंने ये बताने से इनकार कर दिया कि क्या पेपर बनाने वाले एक्सपर्ट के पैनल से या एक्सपर्ट से कोई स्पष्टीकरण मांगा जाएगा।

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