जिसे लोगों ने चपरासी होने का दिया ताना अब बना बड़ा अफसर, पास किया राज्य का कठिन एग्जाम
जिस कार्यालय में शैलेंद्र कुमार बांधे काम करते थे राज्य आयोग की परीक्षा पास कर वे अब उसी ऑफिस में असिस्टेंट कमीश्नर बन गए हैं। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को दिया।
कड़ी मेहनत और लगन के बल पर मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री वाला एक चपरासी अब अफसर बनेगा। CGPSC ऑफिस में चपरासी शैलेंद्र कुमार बांधे ने इस बार छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) की परीक्षा पास कर युवा उम्मीदवारों के लिए एक मिसाल कायम की है। शैलेंद्र कुमार बांधे रायपुर में CGPSC कार्यालय में पिछले 7 महीनों से कार्यरत हैं। उन्होंने अपने 5वें अटेम्प्ट में छत्तीसगढ़ सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हासिल की और अब उन्हें सहायक आयुक्त (राज्य कर) के पद पर नियुक्त किया जाएगा।
रिजर्व कैटेगरी में हासिल की दूसरी रैंक
29 वर्षीय शैलेंद्र ने CGPSC-2023 परीक्षा पास की, जिसके रिजल्ट पिछले हफ्ते घोषित किए गए थे, जिसमें जनरल कैटेगरी में 73वीं रैंक और रिजर्व कैटेगरी में दूसरा स्थान हासिल किया। जानकारी दे दें कि अनुसूचित जाति से आने वाले बांधे मूल रूप से बिलासपुर जिले के बिटकुली गांव के एक किसान परिवार से हैं। उनका परिवार अब रायपुर में बस गया है। उन्होंने रायपुर में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और फिर एनआईटी रायपुर से बीटेक (मैकेनिकल इंजीनियरिंग) की पढ़ाई की। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को दिया। बांधे ने कहा कि उनके माता-पिता ने हर कदम पर उनका साथ दिया और उनके हर फैसले में साथ खड़े रहे।
5वें अटेम्प्ट में मिली सफलता
उन्होंने कहा, "इस साल मई में मुझे सीजीपीएससी ऑफिस में चपरासी के पद पर नियुक्त किया गया। इसके बाद मैंने इस साल फरवरी में आयोजित सीजीपीएससी-2023 की प्रीलिम्स परीक्षा पास कर ली और फिर मेंस परीक्षा की तैयारी जारी रखी, क्योंकि मैं अधिकारी बनना चाहता था।" बांधे ने आगे बताया कि उन्हें एनआईटी रायपुर में अपने एक सुपर सीनियर हिमाचल साहू से प्रेरणा मिली, जिन्होंने सीजीपीएससी-2015 परीक्षा में फर्स्ट रैंक हासिल की थी और फिर उन्होंने भी सिविल सेवाओं की तैयारी शुरू कर दी। पहले 4 अटेम्प्ट में उन्हें निराशा हाथ लगी, लेकिन वे रूके नहीं और भी अधिक मेहनत करने लगे।
बांधे ने आगे कहा, "मैं पहले अटेम्प्ट में प्रीलिम्स परीक्षा भी पास नहीं कर सका और अगले अटेम्प्ट में मैं मेंस परीक्षा में लटक गया। इसके बाद तीसरे और चौथे अटेम्प्ट में मैं इंटरव्यू के लिए योग्य हो गया, लेकिन पास नहीं हो सका। आखिरकार, 5वें अटेम्प्ट ने मुझे खुश कर दिया।" जल्द ही सहायक आयुक्त बनने वाले बांधे ने कहा कि उन्होंने अपने परिवार की आर्थिक मदद करने के लिए चपरासी की नौकरी चुनी, लेकिन राज्य सिविल सेवाओं की तैयारी जारी रखी।
लोगों ने चपरासी होने का दिया ताना
जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें फोर्थ क्लास कर्मचारी के रूप में काम करने में असहजता महसूस होती है, तो उन्होंने कहा, "कोई भी नौकरी बड़ी या छोटी नहीं होती, क्योंकि हर पद की अपनी गरिमा होती है। चाहे वह चपरासी हो या डिप्टी कलेक्टर, हर नौकरी में ईमानदारी और जिम्मेदारी के साथ काम करना होता है।" उन्होंने कहा कि चपरासी के रूप में काम करने के दौरान उन्हें लोगों के ताने सुनने पड़े, लेकिन उनका आत्मविश्वास या आत्मसम्मान को कम नहीं हुआ।
उन्होंने कहा, "कुछ लोग मुझे ताना मारते थे और चपरासी के तौर पर काम करने के लिए मेरा मज़ाक उड़ाते थे, लेकिन मैंने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया। मेरे माता-पिता, परिवार और ऑफिस ने हमेशा मेरा साथ दिया और मुझे प्रोत्साहित किया।"
पिता ने बेटे की मेहनत को किया सलाम
बांधे के पिता संतराम बांधे एक किसान हैं और उन्होंने कहा कि वह अपने बेटे की कड़ी मेहनत और लगन को सलाम करते हैं, जो पिछले 5 सालों से सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा था। उन्होंने कहा, "मुझे उम्मीद है कि मेरा बेटा उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा बनेगा जो सरकारी नौकरी पाने और देश की सेवा करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।"
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